जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में देश विरोधी नारे लगाने के मामले में कोर्ट ने कहा सेंशन मिले या नही अगली तारीख पर हम सुनवाई करेंगे।
इस मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने जांच अधिकारी से पूछा कि क्या कन्हैया नारे लगा रहा था जिसपर जांच अधिकारी ने कहा जब नारे लग रहे थे, उस समय वहां मौजूद था। खालिद ने प्रोग्राम को ऑर्गनाइज किया था। अर्निबान भट्टाचार्य भी वहां मौजूद था। दो घंटे तक प्रोग्राम चला था। खालिद और अर्निबान का मेल भी मौजूद है। कोर्ट ने कहा प्रोग्राम से संबंधित वीडियो अगली सुनवाई के दौरान देखेंगे। कोर्ट ने पूछा फ़ाइल कहा है तो जांच अधिकारी ने कहा अभी दिल्ली सरकार के गृह मंत्री के पास है। जिसपर कोर्ट ने कहा आरोप पत्र दाखिल करने में 3 साल आपने लगाया और सेंशन देने में दिल्ली सरकार 3 साल लगाएगे। कोर्ट ने 11 मार्च को अगली सुनवाई करेगा।
पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने आईओ से पूछा था कि फ़ाइल कहां अटकी है, आईओ ने कहा दिल्ली सरकार के पास। जज ने कहा था उन्हें बोलो जल्दी करें ऐसे फाइल लेकर थोड़े ही बैठ सकते है। मामले की सुनवाई के दौरान पटियाला हाउस कोर्ट ने दिल्ली पुलिस द्वारा दाखिल आरोप पत्र पर संज्ञान लेने से इंकार कर दिया था।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगाते हुए पूछा था कि बिना सरकार के अनुमति के कैसे आरोप पत्र दाखिल कर दी गई। जिसपर दिल्ली पुलिस ने कोर्ट से 10 दिन का समय मांगा था और कहा था कि इन 10 दिनों में उन्हें मंजूरी मिल जायेगी। जिसके बाद दिल्ली के कानून मंत्री कैलाश गहलोत ने दिल्ली सरकार के कानून सचिव यानी लॉ सेक्रेटरी को शो कॉज नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।
कानून मंत्री कैलाश गहलोत ने दिल्ली सरकार के लॉ सेक्रेटरी पर कानून मंत्री की अनदेखी और नियमों का पालन न करने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि लॉ सेक्रेटरी ने बिना कानून मंत्री को फाइल दिखाए फ़ाइल आगे कैसे बढ़ाई।लॉ सेक्रेटरी ने कानून मंत्री को फ़ाइल दिखाए बिना सीधे गृह विभाग को भेज दिया था।
बतादें कि आरोप पत्र के मुताबिक इसमें 7 कश्मीरी छात्र आकिब हुसैन, मुजीब हुसैन, मुनीब हुसैन, उमर गुल, रईया रसूल, बशीर भट, बशरत के खिलाफ भी आरोप पत्र दाखिल किए गए हैं। वहीं आरोप पत्र की कॉलम संख्या 12 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता डी राजा की बेटी अपराजिता, जेएनयूएसयू की तत्कालीन उपाध्यक्ष शेहला राशिद, राम नागा, आशुतोष कुमार और बनज्योत्सना लाहिरी सहित कम से कम 36 अन्य लोगों के नाम है, क्योंकि इन लोगों के खिलाफ फिलहाल सबूत नही है।
आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए (राजद्रोह), धारा 323 (किसी को चोट पहुचाना), धारा 465 (जालसाजी के लिए सजा), धारा 471(फर्जी दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक रिकार्ड को वास्तविक तौर पर इस्तेमाल करना), धारा 143 (गैरकानूनी तरीके से एकत्र समूह का सदस्य होने के लिए सजा), धारा 149 (गैरकानूनी तरीके से एकत्र सदस्य होना), धारा 147 (दंगा फैलाने के लिए सजा) और 120 बी (आपराधिक षडयंत्र) के तहत आरोप लगाए गए है।
पुलिस ने जेएनयू परिसर में नौ फरवरी 2016 को आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कथित तौर पर भारत विरोधी नारे लगाने के आरोप में दाखिल किया है। यह कार्यक्रम संसद हमला मामले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु को फांसी की बरसी पर आयोजित किया गया था। यह आरोपपत्र में सीसीटीवी के फुटेज, मोबाइल फोन के फुटेज और दस्तावेजी प्रमाण भी है।
पुलिस का आरोप है कि कन्हैया कुमार ने भीड़ को भारत विरोधी नारे लगाने के लिए उकसाया था। भाजपा के सांसद महेश गिरी और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की शिकायत पर वसंत कुंज पुलिस थाने में 11 फरवरी 2016 को अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए तथा 120बी के तहत एक मामला दर्ज किया गया था।
एबीवीपी ने कथित आयोजन को राष्ट्र विरोधी बताते हुए शिकायत की थी जिसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसकी अनुमति रद्द कर दी थी। इसके बावजूद यह आयोजन हुआ था। गौरतलब है कि 9 फरवरी को जेएनयू कैम्पस में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान देश विरोधी नारे लगाने के आरोप में कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य को गिरफ्तार किया गया था। फिलहाल ये तीनों जमानत पर है।