सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर किसी को किसी मामले में फांसी की सजा हुई है तो वह सजा वैध है।
सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ में तीन लोगों की हत्या के मामले में अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कहा कि अगर किसी को किसी मामले में फांसी की सजा हुई है तो वह सजा वैध है।
कोर्ट ने छत्तीसगढ़ में तीन लोगों की हत्या करने वाले 45 वर्षीय छन्नू वर्मा की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया है।
हाइकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को सही मानते हुए छन्नू वर्मा की फांसी की सजा को सही माना था। हाइकोर्ट के फैसले को छन्नू वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। छन्नू पाटन ब्लॉक के ग्राम बोरिद का रहने वाला है।
दरअसल 19 अक्टूबर 2011 को शाम 5 बजे गांव की ही 32 वर्षीया रत्न बाई, उसके ससुर 56 वर्षीय आनंदराम साहू व सास 55 वर्षीया फिरंटिन बाई की चाकू से वार कर हत्या कर दी थी। जबकि पूर्व जिला पंचायत सदस्य मीरा बंछोर, उसके पति छन्नूलाल बंछोर व गेंदलाल वर्मा पर जानलेवा हमला कर घायल कर दिया था।
इस मामले में मृतका रत्ना बाई के 9 साल के बेटे रोशन उर्फ सोनू की गवाही महत्वपूर्ण थी। रोशन ने अपनी मां, दादी की हत्या होते हुए देखी थी। पूर्व जिला पंचायत सदस्य मीरा बंछोर के घर जाकर उसे बताया था कि माँ और दादी को छन्नू वर्मा ने मार डाला है।
गौरतलब है कि छन्नू वर्मा के खिलाफ गांव की ही एक महिला के साथ बलात्कार का मामला दर्ज था। मृतकों व घायलों में से कुछ लोगो ने बलात्कार के मामले में छन्नू वर्मा के खिलाफ न्यायलय में गवाही दी थी।
घटना के कुछ दिन पहले ही वह बलात्कार के आरोप से बरी होकर जेल से रिहा होकर गांव लौटा था। अपने खिलाफ गवाही से सुनियोजित ढंग से वह नाराज था और बदले की भावना से सुनियोजित ढंग से तीन लोगों की हत्या कर दी। वह गाँव के रामस्वरूप को भी मारना चाहता था। लेकिन वह उसे नही मिला।