पिछले साल 17 अक्टूबर को केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा देने वाले अकबर ने भारत में ‘मीटू’ अभियान के दौरान सोशल मीडिया पर अपना नाम छाने के बाद रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था।
दिल्ली की एक अदालत ने पूर्व केंद्रीय मंत्री एम जे अकबर द्वारा दायर एक मुकदमे में पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ बुधवार को मानहानि का आरोप तय किया। रमानी ने अकबर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। इसके बाद अकबर ने पत्रकार के खिलाफ मामला दायर किया था।
हालांकि, अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल के समक्ष पेश हुई रमानी ने खुद को निर्दोष बताया और कहा कि वह मुकदमे का सामना करेंगी। रमानी ने कहा, ‘मैं अपने बचाव, लोकहित में अच्छा विश्वास बनाए रखने और सार्वजनिक अच्छाई के लिए सच कह रही हूं। सुनवाई के दौरान मैं अपना बचाव साबित करूंगी। मैं निर्दोष हूं।’
रमानी ने अदालत को बताया कि उन्हें एक छोटे बच्चे की देखभाल करनी पड़ रही है। इसके बाद अदालत ने रमानी को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने से स्थायी छूट भी प्रदान कर दी। अकबर के वकील ने रमानी के लिए इस छूट याचिका का विरोध नहीं किया। अदालत इस मामले में अब चार मई को सुनवाई करेगी।
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पिछले साल 17 अक्टूबर को केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा देने वाले अकबर ने भारत में ‘मीटू’ अभियान के दौरान सोशल मीडिया पर अपना नाम छाने के बाद रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था।
रमानी ने पत्रकार रहने के दौरान अकबर पर करीब 20 साल पहले यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। अकबर ने आरोपों का खंडन किया था। अकबर ने पूर्व ने अदालत में कहा था कि पत्रिका 'वोग' के आर्टिकल में लगाए गए आरोपों और इसके बाद ट्वीटों से उनका मानहानि हुआ क्योंकि शिकायतकर्ता ने उन पर झूठे और काल्पनिक तरीके से आरोप लगाए।
उन्होंने अदालत में अपने बयान में कहा कि यौन उत्पीड़न के घिनौने, मनगढ़ंत और झूठे आरोप के कारण उन्हें ‘तत्काल नुकसान’ झेलना पड़ा। कई महिलाओं ने अकबर के खिलाफ उनके पत्रकार रहने के दौरान यौन उत्पीड़न करने के आरोप लगाए। अकबर ने आरोपों को ‘झूठा, मनगढंत और गहरा चिंताजनक’ करार दिया और कहा थ कि वह उनके खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई करेंगे। (पीटीआई इनपुट)