देश के गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा चुनाव 2024 से पहले POK(पाक अधिकृत काश्मीर) को लेकर बड़ा बयान दिया है। उनका यह बयान देश की सियासत का रुख बदल सकता है। यही नहीं पाकिस्तान में भी उनके बयान पर खलबली मच सकती है।
नई दिल्ली। देश के गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा चुनाव 2024 से पहले POK(पाक अधिकृत काश्मीर) को लेकर बड़ा बयान दिया है। उनका यह बयान देश की सियासत का रुख बदल सकता है। यही नहीं पाकिस्तान में भी उनके बयान पर खलबली मच सकती है। साथ में उन्होंने नागरिक संशोधन अधिनियम को लेकर विपक्षी दलों पर मुस्लिम समुदाय को गुमराह का करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा CAA नागरिकता देने के लिए है, छीनने के लिए नहीं।
अमित शाह ने कहा कि शरणार्थियों को क्यों नहीं देनी चाहिए नागरिकता?
15 मार्च को एक इंटरव्यू के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाला काश्मीर बारत का हिस्सा था, है और हमेशा रहेगा। वहां का हर नागरिक हमारा अपना है। फिर वह चाहे हिंदु हो या मुसलमान। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि आजादी के वक्त पाकिस्तान में 23 प्रतिशत हिंदू थे। आज वहां 2.7 प्रतिशत हैं। बांग्लादेश में आज 10 प्रतिशत से भी कम हिंदू बचे हैं। बाकी लोग कहां गए? उनके साथ क्या हुआ? पड़ोसी देशों में बड़ी संख्या में धर्मांतरण हुआ। वहां उनके परिवार की महिलाओं के साथ अन्याय हुआ। उन्होंने भारत में शरण ली। हमें उन्हें नागरिकता आखिर क्यों नहीं देनी चाहिए।
बीजेपी ने कभी भी देश के बंटवारे का समर्थन नहीं किया: अमित शाह
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि CAA में नागरिकता छीनने का कोई प्रावधान नहीं है। पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्य जो उत्पीड़ित महसूस कर रहे हैं, उन्हें विभाजन के समय आश्वासन दिया गया था कि वे बाद में भारत आ सकते हैं। दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश ने 1947 में धर्म आधारित विभाजन देखा है। उन्होंने कहा कि हम देश के बंटवारे के पक्ष में कभी नहीं थे। CAA पर भेदभाव को लेकर उन्होंने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ का समर्थन करने वाले बोल रहे हैं कि धर्म पर कानून नहीं होना चाहिए।
गृहमंत्री शाह ने एक देश, एक चुनाव को बताया जरूरी
एक राष्ट्र, एक चुनाव पर किए गए सवाल पर गृह मंत्री शाह ने कहा कि इसके कार्यान्वयन की तारीख संसद तय करेगी। इसका उद्देश्य चुनावों के खर्च को कम करना है। एक राष्ट्र एक चुनाव का समर्थन करते हुए गृह मंत्री ने कहा, एक साथ चुनाव होने से 5 साल तक चुनी हुई सरकारें अपना काम बिना किसी बाधा के करेंगी। कहा कि देश में एक साथ चुनाव 1960 तक हुए, इंदिरा जी ने जब सरकारें गिरानी शुरू की तब से यह चुनाव का क्रम बिगड़ गया।
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