मोदी सरकार की कूटनीतिक जीत

By Ajit K Dubey  |  First Published Jul 22, 2018, 2:18 PM IST

पिछले महीने मालदीव ने भारत से इन हेलीकॉप्टरों को वापस लेने को कह दिया था। मालदीव के दक्षिण द्वीप अद्दू में गान एयरफील्ड और उत्तर में लामू में एएलएच ध्रुव हेलीकॉप्टर तैनात हैं। इनका संचालन भारतीय नौसेना और कोस्ट गार्ड करता है।

नरेंद्र मोदी सरकार को मालदीव में बड़ी कूटनीतिक कामयाबी मिली है। अब मालदीव अपने यहां तैनात दो भारतीय हेलीकॉप्टरों और 48 सदस्यीय दल को दिसंबर तक रखने को तैयार हो गया है। पिछले महीने मालदीव ने भारत से इन दोनों हेलीकॉप्टरों को वापस लेने को कह दिया था। मालदीव के दबाव बढ़ाने के बाद नौसेना की दक्षिणी कमान के तहत आने वाले युद्धपोतों को हेलीकॉप्टरों को वापस लाने के लिए रवाना होने का निर्देश दिया गया था। लेकिन अब यह प्रक्रिया स्थगित कर दी गई है। 

सरकार के एक उच्च पदस्थ सूत्र ने 'माय नेशन' को बताया, 'मालदीव ने दोनों एएलएच ध्रुव हेलीकॉप्टरों की तैनाती को दिसंबर तक तत्काल बढ़ाने का अनुरोध किया है। साथ ही नौसेना, कोस्ट गार्ड और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के लगभग 50 सदस्यों वाले भारतीय दल को तुरंत वीजा अवधि बढ़ाने के लिए आवेदन करने को भी कहा गया है।'

सूत्रों के अनुसार, भारतीय दल के सदस्य रविवार को अपने वीजा को बढ़ाने का आवेदन करेंगे, क्योंकि मालदीव में शुक्रवार और शनिवार को साप्ताहिक अवकाश होता है। 

दरअसल, सामरिक रूप से अहम मालदीव के भारतीय हेलीकॉप्टरों को वापस करने के फैसले को भारत के लिए झटके और इस द्वीपीय देश में चीन के फिर मजबूत होने के तौर पर देखा जा रहा था। पिछले कुछ वर्षों में मालदीव चीन के प्रभाव से निकल चुका था। अब वहां फिर चीन की गतिविधियां बढ़ी हैं।

अब हेलीकॉप्टरों को अपने यहां रखने के साथ ही, मालदीव सरकार ने अपने कोस्ट गार्ड के पोत हुरावी को मरम्मत के लिए विशाखापट्टनम भेजा है। भारत की ओर से यह मरम्मत का यह काम मुफ्त में किया जाएगा। इस पर 10 मिलियन डॉलर खर्च होने का अनुमान है। 

मालदीव के कड़े रुख में यह बदलाव ऐसे समय आया है, जब वह अपने यहां तैनात नौसेना और भारतीय कोस्ट गार्ड के दो हेलीकॉप्टर को वापस लेने पर अड़ा था। ये हेलीकॉप्टर मालदीव के दक्षिण द्वीप अद्दू में गान एयरफील्ड और उत्तर क्षेत्र के मू में तैनात हैं। 

मालदीव सरकार के रुख और मामले को ठीक से नहीं संभाल पाने के लिए हो रही विदेश मंत्रालय की आलोचना  के बावजूद रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान इस मुद्दे पर बोलने से इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा, अभी इस मामले पर चर्चा हो रही है। 

हिंद महासागर में भारत और भारतीय नौसेना को सुरक्षा उपलब्ध कराने वाले देश के तौर पर देखा जाता है। ऐसा माना जाने लगा था कि भारत का मालदीव में प्रभाव कम हो रहा है। मालदीव के कड़े रुख से क्षेत्र में भारत की छवि प्रभावित हो सकती थी।

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