फिलहाल चीन भारत के रूख से घबराया हुआ है और दुनिया के अधिकांश देश चीन की विस्तारवादी सोच को लेकर चिंतित है। वहीं अमेरिका ने भी चीन के खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं। वहीं भारत चीन को लगातार झटके दे रहा है। जिसके बाद चीन अपने रूख को नरम करने को मजबूत हुआ है।
नई दिल्ली। भारत के खिलाफ लगातार साजिश कर रहे चीन के सुर में बदलाव देखा जा रहा है। हालांकि इस पर कितना विश्वास किया जाए इस पर सस्पेंस है। अब चीन का कहना है कि दोनों देशों को एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए। असल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस के भाषण पर चीन के सुरों में बदलाव देखा जा रहा है। वहीं चीन भी समझ गया है कि अब भारत उसके सामने झुकने वाला नहीं है। लिहाजा वह भारत के साथ आपसी विश्वास बढ़ाने और मतभेदों को ठीक तरीके से सुलझाने की बात कर रहा है। चीन का कहना है कि दोनों देशों के लिए सही रास्ता है कि वह एक दूसरे का सम्मान करें।
फिलहाल चीन भारत के रूख से घबराया हुआ है और दुनिया के अधिकांश देश चीन की विस्तारवादी सोच को लेकर चिंतित है। वहीं अमेरिका ने भी चीन के खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं। वहीं भारत चीन को लगातार झटके दे रहा है। जिसके बाद चीन अपने रूख को नरम करने को मजबूत हुआ है। चीन के विदेश मंत्रालय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस के भाषण पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि दोनों देशों को एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए।
असल में पीएम मोदी ने भारतीय सशस्त्र बलों के मजबूत होने और देश की क्षेत्रीय अखंडता सर्वोच्च होने की बात की थी। जिसके बाद चीन के समझ में आने लगा है कि भारत किसी भी हाल में अब चीन के सामने नहीं झुकेगा। वहीं पीएम मोदी ने इशारों इशारों में कहा कि देश के वीर जवान क्या कर सकते हैं, लद्दाख में दुनिया ने देख लिया है। वहीं चीन गलवान में हुए हिंसक झड़प की सच्चाई दुनिया को नहीं बता सका है। चीन ने अभी तक ये खुलासा नहीं किया है कि उसके कितने सैनिक गलवान घाटी में मारे गए थे।
वहीं भारत ने इसकी सच्चाई दुनिया के सामने रखी। गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में जून के मध्य में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक टकराव में देश के 20 जवान शहीद हो गए थे। इसके अलावा चीन के भी कई सैनिकों की मारे जाने की खबर है। लेकिन चीन ने अभी तक इस बात को स्वीकार नहीं किया है। उधर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने पीएम मोदी के भाषण पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हम करीबी पड़ोसी हैं और दोनों ही उभरते हुए देश हैं। चीन राजनीतिक आपसी विश्वास को बढ़ाने और मतभेदों को दूर करने के लिए भारत के साथ काम करने के लिए तैयार है।