राज्य में कांग्रेस सरकार पर संकट के छाए बादल खत्म हो गए हैं। क्योंकि कांग्रेस के बागी सचिन पायलट पार्टी में वापस लौट गए हैं। वहीं अब राज्य सरकार विधायकों को एकजुट करने की कोशिश में लगी है। वहीं राज्य में अशोक गहलोत अपने करीबी लोगों को शामिल करना चाहते हैं।
जयपुर। राजस्थान में कांग्रेस सरकार पर आए सियासी संकट के दूर होने के बाद अब राज्य में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अब कैबिनेट की तैयारी में हैं। गहलोत अब अपने करीबियों को कैबिनेट में शामिल कराना चाहते हैं। फिलहाल राज्य में खत्म हुए सियासी संग्राम के बाद सीएम गहलोत के सामने विधायकों को एकजुट करने की चुनौती है और माना जा रहा है कि गुटबाजी को थामने के लिए गहलोत सचिन पायलट के कुछ करीबियों को कैबिनेट में शामिल कर एकजुटता के संकेत दे सकते हैं।
राज्य में कांग्रेस सरकार पर संकट के छाए बादल खत्म हो गए हैं। क्योंकि कांग्रेस के बागी सचिन पायलट पार्टी में वापस लौट गए हैं। वहीं अब राज्य सरकार विधायकों को एकजुट करने की कोशिश में लगी है। वहीं राज्य में अशोक गहलोत अपने करीबी लोगों को शामिल करना चाहते हैं। जबकि सियासी संकट के दौरान गहलोत ने सचिन पायलट, विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा को कैबिनेट से बाहर कर दिया था। वर्तमान में राज्य कैबिनेट में 22 सदस्य हैं। जबकि राज्य में 30 मंत्री बन सकते हैं।
चार सहयोगियों को कैबिनेट में जगह चाहते हैं पायलट
जानकारी के मुताबिक सचिन पायलट राज्य में कैबिनेट विस्तार में चार वरिष्ठ विधायकों को कैबिनेट मंत्री बनाया चाहते हैं। इसमें विश्वेंद्र, रमेश मीणा , पूर्व मंत्री हेमाराम चौधरी और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष दीपेंद्र सिंह शेखावत का नाम शामिल हैं। वहीं पायलट खेमा दो अन्य विधायकों को राज्यमंत्री बनाना चाहता है। लेकिन ये सब गहलोत पर निर्भर करेगा कि वह किसे मंत्री बनाते हैं।
दो मंत्रियों की हो सकती है छुट्टी
माना जा रहा कि राज्य में दो और मंत्रियों की छुट्टी हो सकती है। राज्य में प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद गोविंद सिंह डोटासरा पर मंत्री का पद छोड़ने का दबाव है वहीं मास्टर भंवरलाल मेघवाल की तबीयत खराब होने के कारण कैबिनेट में नए चेहरों को जगह मिल सकती है। वहीं गहलोत निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा और महादेव सिंह खंडेला व बसपा से आए राजेंद्र गुढ़ा को भी मंत्री बना सकते हैं।