मायावती के कार्यकाल में हुए 'स्मारक घोटाले' को लेकर लखनऊ में ईडी के छापे

By Team MyNationFirst Published Jan 31, 2019, 3:24 PM IST
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ईडी की टीम ने लखनऊ के गोमती नगर और हजरतगंज में इंजीनियरों, ठेकेदारों और स्मारक घोटाले से जुड़े लोगों के ठिकानों पर भी छापे मारे हैं। 

प्रवर्तन निदेशालय ने उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के कार्यकाल में स्मारकों के निर्माण में हुई कथित अनियमितताओं को लेकर छह जगहों पर छापे मारे हैं। कथित तौर पर 14 अरब के स्मारक घोटाले में ईडी ने बसपा सुप्रीमो के करीबियों पर कार्रवाई शुरू की है। लखनऊ में 6 ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी हुई है। ईडी की टीम ने लखनऊ के गोमती नगर और हजरतगंज में इंजीनियरों, ठेकेदारों और स्मारक घोटाले से जुड़े लोगों के ठिकानों पर भी छापे मारे हैं। 

Enforcement Directorate is conducting raids at 6 locations in Lucknow in connection with Rs 1400 Crore memorial scam. Visuals from Gomti Nagar and Hazratganj area. pic.twitter.com/JVwtIzpU3R

— ANI UP (@ANINewsUP)

जांच के लिए विजिलेंस में सात इंस्पेक्टरों की एक एसआईटी का भी गठन किया गया था। बताया जा रहा है कि विजिलेंस जांच की पूरी रिपोर्ट मिलने के बाद ही प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने कार्रवाई शुरू की है। खास बात यह है कि मायावती ने लोकसभा चुनाव से पहले जिस समाजवादी पार्टी से हाथ मिलाया है। उसके ही कार्यकाल में स्मारक घोटाले की जांच विजिलेंस को सौंपी गई थी। एसपी के ही कार्यकाल में स्मारक घोटाले में गोमती नगर में एफआईआर दर्ज करवाई गई थी। हालांकि, शुरुआती तेजी के बाद मामले की जांच ठंडे बस्ते में चली गई। इस मामले में ईडी ने भी केस दर्ज किया लेकिन विजिलेंस की जांच आगे न बढ़ने के कारण आरोपियों के खिलाफ कोई चार्जशीट न होने के कारण ईडी की जांच भी ठंडे बस्ते में चली गई थी। 

बसपा के दो पूर्व मंत्रियों और मायावती के करीबी रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी और बाबू सिंह कुशवाहा के जरिये मायावती पर शिकंजा कसने की आशंका पहले से जताई जा रही थी।  

ईडी के सूत्रों की मानें तो विजिलेंस को जांच में स्मारक घोटाले के तहत मनी लॉन्ड्रिंग के सबूत मिले हैं। इन्हीं सबूतों को जुटाने के बाद ईडी ने स्मारक घोटाले से जुड़ी फर्मों व निर्माण निगम इंजिनियरों समेत कइयों के ठिकाने खंगाले। सूत्रों के अनुसार, इस कार्रवाई में ईडी ने निशाने पर स्मारकों के लिए पत्थर की आपूर्ति से जुड़ी फर्म्स हैं। 

अखिलेश यादव पर अवैध खनन और रिवर फ्रंट घोटाले पर शिकंजा कसने के बाद मायावती इस तरह की कार्रवाई होने की आशंका पहले ही जता चुकी हैं। 
 

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