अलीगढ़ के मिर्जापुर गांव में बाबू खान ने शिव मंदिर का निर्माण करवाया है। उनके मुताबिक, वह पांच बार नमाज पढ़ते हैं लेकिन शिवलिंग पर भी जल चढ़ाना उनकी दिनचर्या का अहम हिस्सा है।
चुनावी मौसम में जहां नेता सियासी फायदा लेने के लिए सांप्रदायिक बयानबाजी करने से नहीं चूक रहे वहीं संवेदनशील कहने जाने वाले अलीगढ़ का एक गांव सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश कर रहा है। अलीगढ़ शहर से आठ किलोमीटर दूर है मिर्जापुर। अलीगढ़ में सांप्रयादिक माहौल बिगड़ने की खबरें आना कोई नई बात नहीं है, लेकिन इनका असर मिर्जापुर गांव तक नहीं पहुंच पाता।
इस गांव के मुसलमानों ने यहां एक शिव मंदिर बना रखा है। मुस्लिम समुदाय के लोग इस मंदिर की देखरेख करते हैं, बल्कि रोज होने वाली आरती में भी शामिल होते हैं। जुलाई 2013 में बने इस मंदिर का पूरा रखरखाव मुस्लिम करते हैं।
‘माय नेशन’ ने इस मंदिर को बनवाने वाले बाबू खान से बात की। वह गांव की प्रधान शमा परवीन के पति हैं। उन्होंने ही यहां दूसरे समुदाय के लोगों के लिए सीडीएफ पुलिस पोस्ट के पास मंदिर का निर्माण करवाया है।
बाबू खान के मुताबिक, वह यहां रहने वाले दूसरे मुस्लिमों के साथ मिलकर मंदिर के आसपास साफ-सफाई करते हैं। सफेल टाइल्स लगे इस मंदिर के निर्माण में 2.5 लाख रुपये खर्च हुए। बाबू खान ने बताया, इस मंदिर को हिंदू-मुस्लिम एकता और सांप्रदायिक सौहार्द को बचाए रखने के लिए बनाया गया है। हम सबने एक ही तरह जन्म लिया है। कोई अंतर नहीं है।
यह इलाका मुस्लिम बहुल है लेकिन हमने हिंदू भाइयों के लिए मंदिर का निर्माण करवाया। हम यह सुनिश्चित करते हैं कि मंदिर हर समय साफ-सुथरा रहे। वहां सभी जरूरी व्यवस्थाएं पूरी हों। हर त्यौहार के दौरान हम खास व्यवस्थाएं करते हैं। बाबू खान ने बताया कि वह पांच बार नमाज पढ़ते हैं लेकिन शिवलिंग पर भी जल चढ़ाना उनकी दिनचर्या का अहम हिस्सा है।