Electoral Bond Case: Supreme Court ने SBI को दिया झटका, 3 दिन के अंदर ये नंबर साझा करने का आदेश

Surya Prakash Tripathi |  
Published : Mar 18, 2024, 03:49 PM IST
Electoral Bond Case: Supreme Court ने SBI को दिया झटका,  3 दिन के अंदर ये नंबर साझा करने का आदेश

सार

CJI चंद्रचूड़ ने मामले की सुनवाई में कहा कि, हमने पिछली सुनवाई के अपने आदेश में SBI को पूरी जानकारी देने को कहा था। परंतु SBI ने बॉन्ड नंबर नहीं दिया। हमारा आदेश है कि, SBI कोर्ट के आदेश का पूरे तरीके से पालन करे।

नई दिल्ली। इलेक्टोरल बॉन्ड केस में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) को बड़ा झटका दिया। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने स्पष्ट आदेश दिया कि SBI को इलेक्टोरल बॉन्ड के 'अल्फा न्यूमेरिक नंबर' चुनाव आयोग से साझा करना जरूरी है।

21 मार्च शाम 5 बजे तक चुनाव आयोग को देना होगा डाटा
CJI ने जानकारी साझा करने की डेडलाइन तय करते हुए कहा कि SBI को गुरुवार यानि 21 मार्च शाम 5 बजे तक इलेक्टोरल बॉन्ड के सभी विवरण चुनाव आयोग को देना होगा। उसके बाद चुनाव आयोग SBI से विवरण प्राप्त होने के बाद तुरंत अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करेगा। SBI की तरफ से पेश हुए वकील हरीश साल्वे ने कहा कि SBI को विवरण का खुलासा करने में कोई आपत्ति नहीं है।

CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, 'SBI कोर्ट के पूर्ण आदेश का पालन करे'
CJI चंद्रचूड़ ने मामले की सुनवाई में कहा कि, हमने पिछली सुनवाई के अपने आदेश में SBI को पूरी जानकारी देने को कहा था। परंतु SBI ने बॉन्ड नंबर नहीं दिया। हमारा आदेश है कि, SBI कोर्ट के आदेश का पूरे तरीके से पालन करे। हम यह स्पष्ट करते है कि, SBI सभी इलेक्टोरल बॉन्ड के यूनिक नंबर यानी 'अल्फा न्यूमेरिक नंबर' निर्वाचन आयोग को मुहैया कराए। CJI ने कहा कि हम चाहते हैं कि चुनावी बॉन्ड्स से संबंधित सभी जानकारी का खुलासा किया जाए जो आपके पास है। SBI कोर्ट में एक एफिडेविट दाखिल करे कि उसने कोई भी सूचना छिपाई नहीं है।

CJI ने इलेक्टोरल बॉड पर पत्र को बताया पब्लिसिटी स्टंट
CJI चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष आदिश अग्रवाल से कहा कि, इलेक्टोरल बॉन्ड पर CJI को उनका पत्र पब्लिसिटी स्टंट है। दरअसल इलेक्टोरल बॉन्ड के डेटा पर मचे हंगामे के बीच आदिश अग्रवाल ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखा था। जिसमें उन्होंने CJI से अपील की थी कि, वे इलेक्टोरल बॉन्ड पर अपने फैसले की समीक्षा करें। इसके लिए आदिश अग्रवाल ने दलील दी थी कि, राजनीतिक दलों को मिलने वाला चंदा उजागर होने से उन कॉर्पोरेट्स पर प्रभाव पड़ेगा, जिन्होंने बॉन्ड के रूप में दान दिया है


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