कोटा के अस्पताल में एक साल में 940 बच्चों की मौत पर गहलोत सरकार खामोश, मिला नोटिस

By Team MyNation  |  First Published Dec 31, 2019, 2:15 PM IST

मीडिया में बच्चों की मौत की खबर प्रकाशित होने के बाद भी राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार खामोश है और अभी तक अस्पताल प्रशासन के खिलाफ कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई है। जानकारी के मुताबिक इस अस्पताल में पिछले एक साल के दौरान 940 बच्चों की मौत की खबर है जबकि पिछले 29 दिनों में 91 नवजातों की मौत ही है। 

नई दिल्ली। राजस्थान के कोटा जिले के एक सरकारी अस्पताल में बच्चों की लगातार हो रही मौत पर राज्य की अशोक गहलोत सरकार खामोश है। अभी तक एक साल के दौरान 940 बच्चों की मौत की खबर है। जबकि इस महीने 91 बच्चों की मौत हुई है। हालांकि इसको लेकर राज्य सरकार में हड़कंप मचा हुआ है। लेकिन राज्य सरकार ने इस पर कोई एक्शन नहीं लिया है। अस्पताल में इस हफ्ते ही गया है। बच्चों की हो रही मौत को लेकर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने राज्य की कांग्रेस सरकार को नोटिस दिया है।

मीडिया में बच्चों की मौत की खबर प्रकाशित होने के बाद भी राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार खामोश है और अभी तक अस्पताल प्रशासन के खिलाफ कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई है। जानकारी के मुताबिक इस अस्पताल में पिछले एक साल के दौरान 940 बच्चों की मौत की खबर है जबकि पिछले 29 दिनों में 91 नवजातों की मौत ही है। इस अस्पताल में 24-25 दिसंबर के बीच ही 10 बच्चों की मौत होने की बात कही जा रही है, जबकि 24-29 दिसंबर के बीच 14 बच्चों की मौत होने की खबर है।

हालांकि राज्य सरकार इस मामले में कुछ भी बोलने से कतरा रही है। जानकारी के मुताबिक कोटा के जेके लोन अस्पताल में पिछले 29 दिनों के भीतर 91 बच्चों की मौत हुई है। जबकि महज पांच दिनों में  वहां पर 14 बच्चो की मौत हुई है। हालांकि भाजपा ने प्रदेश सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य में चिकित्सा व्यवस्था ध्वस्त हो गई है जबकि कांग्रेस को इस मुद्दे पर राजनीति ना करने की नसीहत भी दी है। हालांकि लोन अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक सुरेश दुलारा ने बच्चों की मौत की पुष्टि की है।

फिलहाल बच्चों की मौत राज्य में राजनैतिक मुद्दा बनता जा रहा है। वहीं राज्य सरकार के जिम्मेदार अफसर इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं। वहीं राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने बच्चों की मौत के मामले में राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। इसके लिए राज्य सरकार को तीन दिन में जवाब देने को कहा है। आयोग ने 30 दिसंबर को ये नोटिस दिया है और 3 जनवरी तक इस पर जवाब मांगा।

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