पुलिस अधिकारियों का भी मानना है कि इससे किसी व्यक्ति को पता लगे बगैर उसकी जासूसी की जा सकेगी। अब जांचकर्ता, पुलिसकर्मी इंटरनेट ट्रैफिक को डायवर्ट, इंटरसेप्ट कर पाएंगे और डाटा का विश्लेषण कर सकेंगे।
जब दिल्ली पुलिस के सबसे निचले रैंक के अधिकारी भी अरुण जेटली जैसे बड़े नेता की जासूसी की कोशिश कर सकते हैं तो आम लोगों की निजी जानकारियों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठना लाजमी है। वित्त मंत्री जेटली की जासूसी तब की गई थी जब वह नेता विपक्ष थे। अवैध तरीके से कॉल इंटरसेप्ट करने को लेकर पहले से ही आलोचनाएं झेल रहे केंद्रीय गृहमंत्रालय ने 10 सुरक्षा, जांच एवं इंटेलिजेंस एजेंसियों को किसी भी कंप्यूटर में स्टोर सूचना और ट्रांसमिशन को इंटरसेप्ट, मॉनीटर तथा डिक्रिप्ट करने का अधिकार दे दिया है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, इस आदेश का अर्थ यह हुआ कि सरकार सर्विस प्रोवाइडर की मदद से आपके इंटरनेट ट्रैफिक, फेसबुक, ट्विटर और व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर डाटा का पता लगा सकती है। हालांकि जांच एजेंसियों के लिए इनक्रिप्टेड कॉल सुनना संभव नहीं होगा लेकिन वह यह पता लगा सकेंगी कि किस व्यक्ति ने कॉल की और कितने समय तक काल की।
पुलिस अधिकारियों का भी मानना है कि इससे किसी व्यक्ति को पता लगे बगैर उसकी जासूसी की जा सकेगी। अब जांचकर्ता, पुलिसकर्मी इंटरनेट ट्रैफिक को डायवर्ट, इंटरसेप्ट कर पाएंगे और डाटा का विश्लेषण कर सकेंगे।
कई हाई प्रोफाइल मामलों की जांच कर चुके एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी के अनुसार, यह किसी भी व्यक्ति को पता लगे बगैर उसकी जासूसी करने जैसा होगा। 'अब हम इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर से किसी के डाटा के ट्रैफिक को उपलब्ध कराने अथवा डायवर्ट करने के लिए कह सकेंगे। यह किसी भी अपराधी का पता लगाने अथवा मामले को हल करने में मददगार होगा। यह केंद्रीय एजेंसियों को अहम जानकारियों जुटाने में भी मदद करेगा।'
अधिकारी ने कहा, 'यह जासूसी को बढ़ावा दे सकता है, क्योंकि जांच एजेंसियां और पुलिस बिना किसी की जानकारी के किसी भी कंप्यूटर में मौजूद डाटा को आसानी से इंटरसेप्ट कर पाएंगी। इससे सरकार सर्विस प्रोवाइडर की मदद से किसी भी व्यक्ति के निजी फोटो, डाटा, मेल आदि का पता लगा सकेंगी। '
केंद्रीय गृहमंत्रालय के आदेश के अनुसार, खुफिया ब्यूरो (आईबी), नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी), राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई), सीबीआई, एनआईए, रॉ, सिग्नल इंटेलिजेंस निदेशालय (जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर एवं असम) और दिल्ली पुलिस के कमिश्नर को किसी भी कंप्यूटर में जनरेट होने वाली, भेजी जाने वाली, रिसीव होने वाली या सहेजी गई किसी भी जानकारी में हस्तक्षेप, निगरानी करने और डिक्रिप्शन का आदेश देने का अधिकार होगा।
जब अरुण जेटली की हुई थी जासूसी
वर्ष 2013 में मौजूदा वित्त मंत्री अरुण जेटली नेता विपक्ष थे। इसी दौरान उनकी कॉल डिटेल से जुड़ा एक स्कैंडल सामने आया। स्पेशल सेल ने दिल्ली पुलिस के तीन अधिकारियों समेत छह लोगों को गिरफ्तार किया। यह मामला तब खुला कि जब एक सेवा प्रदाता को दिल्ली पुलिस की तरफ से जेटली और उनके परिवार के सदस्यों की कॉल डिटेल का अनुरोध मिला। जब सेवा प्रदाता की ओर से इस अनुरोध की पुष्टि के लिए दिल्ली पुलिस से संपर्क साधा गया तो वरिष्ठ अधिकारियों ने ऐसा कोई भी अनुरोध भेजे जाने से इनकार कर दिया। इसके बाद मामले की जांच के लिए एक टीम गठित की गई। पुलिस के मुताबिक, जासूसों और पुलिस का एक समूह अवैध तरीके से कुछ राजनेताओं, बिजनेसमैन, पत्रकारों और अन्य की जासूसी कर रहा था।