अगले हफ्ते सीएसटी काउंसिल की बैठक होने जा रही है। इसमें सबसे बड़ा मुद्दे कुछ उत्पादों को 28 फीसदी की जीएसटी दरों से कम करना है। काउंसिल में पिछली बार भी इस मुद्दे पर बातचीत हुई, लेकिन कोई फैसला नहीं आया। अभी तक सीमेंट पर 28 फीसदी की जीएसटी दर है। जिसे कम करने पर विचार किया जा सकता है। अक्टूबर में हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में कई उत्पादों की 28 फीसदी की दरों से कम कर दिया गया था।
केन्द्र सरकार अगले हफ्ते घर बनाने वाले और रियल स्टेट उद्योग को खुशखबरी दे सकती है। जीएसटी काउंसिल सीमेंट से जीएसटी की दरों को कम कर सकती है। काउंसिल से मंजूरी मिलने के बाद केन्द्र सरकार इस पर फैसला लेगी। सरकार के इस फैसले से रियल स्टेट उद्योग को राहत मिलने की उम्मीद है।
अगले हफ्ते सीएसटी काउंसिल की बैठक होने जा रही है। इसमें सबसे बड़ा मुद्दे कुछ उत्पादों को 28 फीसदी की जीएसटी दरों से कम करना है। काउंसिल में पिछली बार भी इस मुद्दे पर बातचीत हुई, लेकिन कोई फैसला नहीं आया। अभी तक सीमेंट पर 28 फीसदी की जीएसटी दर है। जिसे कम करने पर विचार किया जा सकता है। अक्टूबर में हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में कई उत्पादों की 28 फीसदी की दरों से कम कर दिया गया था। अब केवल 35 वस्तुएं हैं जिन पर सबसे ऊंची रेट से टैक्स लगाया जाता है।
असल में सरकार का तर्क है कि उन्हीं वस्तुओं को 28 फीसदी की दर पर रखा जाना चाहिए जो लक्जरी श्रेणी में आती हैं। या फिर ऐसे उत्पाद जो अहितकर हैं यानी सिगरेट और धूम्रपान की वस्तुएं। जुलाई 2017 को जब जीएसटी लागू किया गया था उस वक्त करीब 226 वस्तुएं 28 फीसदी की श्रेणी में थी जो अब घटकर 35 रह गयी हैं। माना जा रहा है 22 दिसंबर को होने वाली काउंसिल की बैठक काफी अहम होगी।
बहरहाल उच्च कर श्रेणी 35 वस्तुएं शामिल हैं। इसमें सीमेंट, वाहनों के कल-पुर्जे, टायर, वाहनों के उपकरण, मोटर वाहन, विमान, सट्टा तथा तंबाकू, सिगरेट और पान मसाला जैसी अहितकर वस्तुएं शामिल हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि अगर सीमेंट में जीएसटी कर दिया जाएगा तो इससे खस्ताहाल रियल स्टेट क्षेत्र को फायदा मिलेगा। इसके साथ ही घर बनाने वालों को भी राहत मिलेगी। क्योंकि सीमेंट की कीमतों में कमी आएगी।