100 से ज्यादा जवानों के साथ मिलकर धूल में मिला दिया था 3000 जवानों और टैंकों वाली पाकिस्तान फौज का मंसूबा।
1971 में लोंगेवाला पोस्ट की लड़ाई में पाकिस्तान को धूल चटा देने वाले ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी नहीं रहे। वह 77 साल के थे। ब्रिगेडियर चांदपुरी ने शनिवार को मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनका कैंसर का इलाज चल रहा था। राजस्थान के जैसलमेर की लोंगेवाला पोस्ट पर 100 से ज्यादा जवानों की मदद से पाकिस्तान के 3000 सैनिकों और टैंकों को पीछे धकेलने के लिए उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था।
फोटो स्रोत - दव्यूपेपर
लोंगेवाला पर पाकिस्तान की टैंकों के ट्रैक (लौटकर भागने के निशान)
चार दिसंबर, 1971 को मेजर चांदपुरी (तत्कालीन पद) ने 120 सैनिकों के साथ मिलकर टैंक रेजीमेंट के साथ भारत की ओर बढ़ रही 3000 सैनिकों वाली पाकिस्तानी बड़ी फौज का मुकाबला किया और उन्हें पीछे खदेड़ दिया। लोंगेवाला की लड़ाई में पाकिस्तान के कुल 34 टैंक तबाह हुए थे। इनमें से 12 टैंक मेजर चांदपुरी के जवानों ने तबाह किए थे।
फोटो स्रोतः डिफेंस लवर
पाकिस्तान की फौज रामगढ़ होते हुए जैसलमेर तक पहुंचने का मंसूबा पाले हुए थी, लेकिन लोंगेवाला उनके लिए आखिरी पोस्ट साबित हुई। रात भर मुट्ठी भर भारतीय सैनिकों ने पाक फौज को खून के आंसू रुलाए। अगले दिन यानी 5 दिसंबर, 1971 को सुबह उनकी मदद के लिए वायु सेना के विमान पहुंच गए। वायुसेना ने पाकिस्तानी टैंकों और सैनिकों पर जमकर कहर ढाया। 6 दिसंबर को फिर वायु सेना ने पाकिस्तान पर बम बरसाए। इस युद्ध में पाकिस्तान की 51वीं इंफेंट्री ब्रिगेड के करीब 3000 सैनिकों ने लोंगेवाला पोस्ट पर हमला बोला था। पाकिस्तान की 22वीं आर्म्ड रेजीमेंट भी उनकी मदद कर रही थी। एक अनुमान के मुताबिक, इस लड़ाई में पाकिस्तान के 34 टैंक तबाह हुए। उसके 200 जवान मारे गए जबकि 500 घायल हुए।
मेजर कुलदीप सिंह की कमान वाली पंजाब रेजीमेंट के पास दो विकल्प थे - या तो वह और जवानों के आने तक पाकिस्तानी दुश्मनों को रोकने की कोशिश करें या पीछे हट जाएं। उनकी रेजीमेंट ने पहला विकल्प चुना और चांदपुरी ने यह पक्का किया कि सैनिकों और साजो समान का अच्छे से अच्छा इस्तेमाल किया जाए। उन्होंने अपने मजबूत बचाव की स्थिति का अधिक इस्तेमाल किया तथा दुश्मन की गलतियों का फायदा उठाकर उसे पीछे खदेड़ दिया।
ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह का जन्म 22 नवंबर, 1940 को एक गुर्जर सिख परिवार में हुआ था। उनके परिवार का संबंध अविभाजित भारत के पंजाब में मोंटागोमरी से था। उनके जन्म के बाद उनका परिवार बालाचौड़ के चांदपुर आ गया। 1962 में उन्होंने गवर्नमेंट कॉलेज, होशियारपुर से ग्रेजुएशन किया। साल 1962 में चांदपुरी भारतीय सेना में शामिल हुए थे। 1963 में उनको ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी से पंजाब रेजीमेंट की 23वीं बटालियन में कमीशन किया गया। उन्होंने 1965 के युद्ध में भी हिस्सा लिया था। युद्ध के बाद वह एक साल तक गाजा (मिस्र) में संयुक्त राष्ट्र के मिशन में भी रहे।
लोंगेवाला की लड़ाई पर ही बनी थी 'बॉर्डर'
लोंगेवाला पोस्ट की लड़ाई पर ही बॉलीवुड फिल्म 'बॉर्डर' बनी थी। इसमें मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी का किरदार सनी देओल ने निभाया था। 1997 में आई यह फिल्म बड़ी सुपरहिट साबित हुई।