मुस्लिम वोट बैंक के लिए असम-बांग्लादेश सीमा पर कांग्रेस सरकार ने घुसपैठ को शह दी

By Siddhartha Rai  |  First Published Aug 3, 2018, 8:26 PM IST

असम में पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान किस तरह बांग्लादेशियों को भारत में घुसने का रास्ता मुहैया कराया गया? अवैध प्रवासियों को लेकर सरकार किस तरह मूक दर्शक बनी रही, कैसे जानबूझकर सीमा पर ढिलाई बरती गई। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच के आदेश दिए थे। 

पिछली सरकार के दौरान यहां तक कि सीमा पर लगी लाइटों को खराब रहने दिया गया। बॉर्डर से घुसपैठ होने दिया गया। इन मामलों को लेकर सर्वोच्च अदालत गंभीर हुई।

पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार के दौरान घुसपैठ को होने दिया गया इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में जांच के लिए कमीशन बनाने का निर्देश दिया था। तब सरकार घूसपैठियों को लेकर आंखें मूंदे बैठी थी।
विकिलिक्स के खुलासे भी माय नेशन की रिपोर्ट को पुष्ट करते हैं। कांग्रेस एनआरसी को लेकर छाती पीट रही है। तब कांग्रेस देश की सुरक्षा, डेमोग्राफी और संसाधनों के साथ खिलवाड़ में लगी थी। ऐसा वोट के खातिर किया जा रहा था। अवैध रूप से घुसे बांग्लादेशी जाली कागजों के सहारे वोट भी कर पाएं, नीयत ये भी थी।

रिपोर्ट में बड़ा तथ्य

माय नेशन के पास एक्सक्लूसिव जानकारी है कि केंद्र और राज्य दोनों जगहों पर कांग्रेस की सरकार होने का लाभ लेकर वो घुसपैठ की समस्या को जानते हुए आंख मूंदे बैठी रही। ठीक इसी बात पर मुहर लगाते हुए विकिलिक्स अपनी पड़ताल में कहता है कि 2006 में कोलकाता में अमेरिका के एक राजनयिक ने ऐसा कहा था कि कांग्रेस ने अवैध घुसपैठ को सहारा दिया। ये मुस्लिम वोट हासिल करने के लिए किया गया।

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देश के लिए खतरा बनते जा रहे इस लुकाछिपी के खेल पर सुप्रीम कोर्ट 2015 में सख्त हुआ। कोर्ट ने एक सदस्यीय कमीशन का गठन कर मामले की छानबीन करने की व्यवस्था की ताकि अंतराष्ट्रीय सीमा पर हो रहे इस अपराध से पर्दा हट सके। वरिष्ठ वकील उपमन्यू हजारिका को इसकी जिम्मेदारी दी गई। माय नेशन ने उन दस्तावेजों,वीडियो को देखा है जो प्राथमिक जांच के बाद आला कोर्ट में सौंपे गए।

राज्य से लेकर केंद्र की सत्ता तक पर काबिज कांग्रेस सरकार की तरफ से क्या हुआ, इसका ब्यौरा तब के बीएसएफ के डीआईजी अजय सिंह ने उपमन्यू हजारिका को कैमरे पर दी थी। उन्होंने सीमा बाड़बंदी में ढिलाई, बार्डर के पास ग्रामीण को अवैध रूप से रहने दिया जाने की कलई खोल दी। ये जानबूझ कर की गई ऐसी करतूत थी जिसने देश की सुरक्षा को खतरे में डाला और घुसपैठियों के लिए जमीन मुहैया कराई।

रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि 2015 के पहले सीमा पर पशुओं की तस्करी और घुसपैठ दोनों चरम पर थे। एक पूरक दस्तावेज जो हजारिका की तरफ से बनाया गया, उसमें बताया गया कि घुसपैठियों को असम में आसानी से पहचान पत्र भी मिल जा रहा था। उपमन्यू हजारिका कहते हैं कि इसके लिए बड़ा रैकेट सक्रिय था जो जाली कागजात बनाता था, ये सबकुछ सरकारी कर्मचारी, अधिकारियों के सहयोग से चल रहा था। 

रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि गुवाहाटी से 80 किलोमीटर दूर बोको विधानसभा क्षेत्र के 14 पोलिंग स्टेशनों पर आश्चर्यजनक रूप से निर्वाचकों की संख्या में वृद्धि हुई। एक अन्य मामले में, काजिरंगा, नजन, कुथोरी गांव पोलिंग स्टेशनों पर वोटरों की संख्या में जो बढ़ोतरी हुई वो आपको हैरान कर देगी। यहां 1979 से 2015 के बीच कुल मतदाताओं की संख्या में हुई वृद्धि में हिंदू वोटरों का प्रतिशत 132.407 है तो मुसलमानों मतदाताओं की संख्या में 409.76% की बढ़ोतरी हुई।

रिपोर्ट में तथ्य भी है कि “जहां तक बिजली सप्लाई की बात है इसमें भी धांधली की गई। बॉर्डर पर बिजली की सप्लाई में कोई कमी नहीं आनी चाहिए ताकि वहां सुरक्षाकर्मियों की नजर रहे लेकिन वहां बत्ती गुल रही तो घुसपैठियों के इलाकों में भरपूर बिजली दी गई। ऐसा राष्ट्रीय सुरक्षा नियामको की अनदेखी कर के किया गया।

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