झारखंड के चाईबासा के 34 आदिवासी बच्चे गायब थे। जब पुलिस ने मामले की तफ्तीश की, तो चौंकाने वाला राज सामने आया। इस आपराधिक घटना के पीछे धर्मांतरण और शोषण का बड़ा रैकेट काम कर रहा था, जिसकी जड़ें पंजाब तक फैली हुई हैं।माय नेशन को झारखंड पुलिस से मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक यह रैकेट 2006 से काम कर रहा था।
नई दिल्ली- झारखंड के चाईबासा के 34 आदिवासी बच्चे गायब थे। जब पुलिस ने मामले की तफ्तीश की, तो चौंकाने वाला राज सामने आया। इस आपराधिक घटना के पीछे धर्मांतरण और शोषण का बड़ा रैकेट काम कर रहा था, जिसकी जड़ें पंजाब तक फैली हुई हैं।
पुलिस सूत्रों का कहना है कि गायब बच्चों को बरामद करने के लिए झारखंड पुलिस लुधियाना के परिकम मेरी क्रॉस चाइल्ड होम पहुंची। उन्हें शक था कि गायब बच्चों को यहीं रखा गया था। यहां पर पुलिस के एक ब्लैक बुक मिली, जिसमें धर्मांतरण रैकेट से जुड़े कई बड़े राज थे। पुलिस के मुताबिक इस डायरी में एक हजार से ज्यादा बच्चों के नाम थे, जिनका धर्मांतरण किया गया जिसके बाद उन्हें देश के अलग अलग हिस्सों में भेज दिया गया।
माय नेशन को झारखंड पुलिस से मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक यह रैकेट 2006 से काम कर रहा था।
झारखंड पुलिस के आईजी आरके मलिक ने बताया कि “हमें खुफिया सूत्रों से जानकारी मिली, कि बच्चों को पढ़ाने के बहाने से अवैध रुप से झारखंड से लुधियाना ले जाया गया। यह काम सत्येन्द्र मोजेज नाम के एक शख्स का है, जो कि परिकम मेरी क्रॉस चाइल्ड होम चलाता है। उसने इन बच्चों का धर्मांतरण करवा कर उन्हें इसाई बना दिया। मामले की जांच के लिए एक टीम भेजी गई है। बाल गृह के अधिकारियों के कहना है कि 34 बच्चों को उनके माता-पिता के पास भेज दिया गया है। इन बच्चों का पता-ठिकाना लेकर टीम वापस लौट रही है”
उन्होंने आगे बताया- “ पुलिस की टीम बाल गृह से जो रिपोर्ट लेकर आई है उससे पता चलता है कि 300 से 400 बच्चों को पढ़ाई के नाम पर झारखंड से लुधियाना भेजा गया। हम लोग इन सभी नामों की जांच में जुटे हुए हैं”
मानवाधिकार संस्था लीगल राइट्स ऑब्जरवेटरी(LRO) के अध्यक्ष विनय जोशी का दावा है कि पुलिस गायब बच्चों की संख्या जितनी बता रही है, वास्तव में उससे कहीं ज्यादा बच्चे गायब हैं। “पंजाब पुलिस ने जो डायरी बरामद की है उसमें एक हजार से ज्यादा बच्चों के नाम हैं, लेकिन स्थानीय प्रशासन मामला दबाने की कोशिश कर रहा है” झारखंड के आईजी मलिक ने भी माय नेशन को जानकारी दी, कि स्थानीय प्रशासन इस मामले में बहुत ज्यादा मदद नहीं कर रहा है।
लीगल राइट्स ऑब्जरवेटरी(LRO), जो कि इस तरह के बलपूर्वक धर्मांतरण के खिलाफ काम करता है, उसने इस मामले में नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स(NCPCR) के पास शिकायत दर्ज कराई है। बाल अधिकार संस्था ने इस मामले में गंभीरता दिखाई है और इसकी सदस्य प्रियंका कानूनगो ने लुधियाना प्रशासन को निर्देश दिया है कि वह इस डायरी एक कॉपी उन्हें उपलब्ध कराए।
उन्होंने माय नेशन को बताया कि “जैसे ही हमें शिकायत मिली, हमने लुधियाना के अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट से बात की और उनसे कहा कि वह डायरी की सुरक्षा सुनिश्चित करें। हम लुधियाना प्रशासन को एक चिट्ठी लिख रहे हैं जिसमें हम मांग करेंगे कि आगे की जांच के लिए हमें डायरी की एक प्रति उपलब्ध कराई जाए”
इस मामले में चाईबासा की चाइल्ड वेलफेयर कमिटी (CWC) की सदस्य ज्योत्सना टिर्की ने 34 बच्चों के गायब होने के मामले में एक प्राथमिकी दर्ज कराई थी। यह एफआईआर 26 अगस्त को एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट(AHTU) में दर्ज कराई गई थी।
इस प्राथमिकी में टिर्की ने दर्ज कराया है कि “ 34 बच्चों का अपहरण करके उन्हें अवैध रुप से परिकम मेरी क्रॉस चाइल्ड होम ले जाया गया, जो कि लुधियाना के पखवेल रोड पर फुल्लनवाला के इंदिरानगर में स्थित है। इन सभी का धर्मांतरण किया गया। इन बच्चों को बाल मजदूरी के रैकेट में भी धकेले जाने की सूचना है। चाईबासा के एसपी ने एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट(AHTU) के एसएचओ बनारसी राम को जांच के लिए लुधियाना भेजा है”
माय नेशन को एक पत्र भी मिला है, जो कि पश्चिमी सिंहभूम जिले के एसपी ने लुधियाना के पुलिस कमिश्नर को लिखा है। इसमें मामले की जांच में सहयोग करने का आग्रह किया गया है। इस पत्र से पता चलता है कि मोजेज के अवैध मानव तस्करी रैकेट से संबंधित जानकारी सबसे पहले झारखंड के स्पेशल ब्रांच के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक(ADG) के पास आई।
पुलिस अधीक्षक ने एडीजी की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि मोजेज ने अवैध रुप से झारखंड के अलग अलग गांवों और जिलों से बच्चों को इकट्ठा किया और उन्हें अपने बाल-गृह में रखा। टिर्की ने अपनी एफआईआर में बताया है कि इस काम में मोजज की मदद करने वाला जुनुल लोगो नाम का शख्स था। जो कि चाईबासा का ही एक धर्मांतरित आदिवासी है। वह इन बच्चों को पकड़ने और भेजने की पूरी प्रक्रिया में शामिल था।
टिर्की की एफआईआर के मुताबिक “यह बाल गृह जूवेनाइल जस्टिस(केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड) एक्ट 2015 के अंतर्गत रजिस्टर्ड भी नहीं था। जो कि गैरकानूनी है।” यह मामला जैसे ही चर्चा में आया लुधियाना और चाईबासा की बाल कल्याण समितियां सक्रिय हो गईं। लेकिन इन बाल कल्याण समितियों को जानकारी दिए बगैर इन 34 में से 30 बच्चों को भेज दिया गया। जो कि जेजे एक्ट-2015 का उल्लंघन है।
एफआईआर के मुताबिक इस बाल गृह में बच्चों के धर्मांतरण का काम धड़ल्ले से जारी था। “लोगा ने लुधियाना में इंदिरानगर के मर्सी होम क्रिश्चियन होस्टल से दसवीं तक पढ़ाई की थी। उसके स्थानीय होने की वजह से मां-बाप उसपर भरोसा करके अपने बच्चों को सौंप देते थे।”