बलिदान बैज उन जवानों को दिया जाता है जो विशेष बलों के लिए चुने जाते हैं। धोनी पैराशूट रेजिमेंट में एक प्रादेशिक सेना अधिकारी हैं लेकिन विशेष बलों का हिस्सा नहीं हैं।
अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने एम एस धोनी को उनके विकेट कीपिंग दस्ताने से भारतीय सेना के प्रतीक चिन्ह को हटाने के लिए कहा है, क्योंकि आईसीसी का कहना है की ये निर्धारित प्रतीक चिन्ह की संख्या से अधिक है। दरअसल एक खिलाड़ी की जर्सी पर कितने लोगो हो सकते हैं इसकी एक संख्या आईसीसी निर्धारित करता है।
आईसीसी के महाप्रबंधक और स्ट्रेटेजिक कम्युनिकेशंस, क्लेयर फर्लांग ने एक समाचार पत्र से बात करते हुए बताया कि “प्रत्येक विकेट-कीपिंग ग्लव पर दो निर्माताओं के लोगो की अनुमति है। "निर्माताओं के लोगो के अलावा किसी अन्य दृश्यमान लोगो की अनुमति नहीं है।"
फर्लांग ने कहा कि " आईसीसी ने भारतीय टीम प्रबंधन से कहा कि धोनी को कोई जुर्माना नहीं देना होगा। लेकिन उनको यह लोगो हटाने के लिए कहा गया है। क्योंकि ये आईसीसी के नियमों का उल्लंघन है"
दरअसल बुधवार को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भारत के पहले मैच के दौरान, धोनी के दस्तानों पर एक विशेष लोगो देखा गया था, जो भारतीय स्पेशल फोर्सेस का चिन्ह रेजिमेंटल डैगर है। जिसे बलिदान बैज भी कहा जाता है।
बलिदान बैज स्पेशल फोर्सेस का एक खास प्रतीक है। जो अपनी वर्दी की जेब पर पैरा कमांडो द्वारा पहना जाता है। जिसमें एक निचे की ओर पॉइंट करती हुई डैगर होते है जिसके ऊपर की ओर पंख होते हैं, जिस पर देवनागरी में 'बलिदान' अंकित होता है।
बलिदान बैज उन जवानों को दिया जाता है जो विशेष बलों के लिए चुने जाते हैं। धोनी पैराशूट रेजिमेंट में एक प्रादेशिक सेना अधिकारी हैं लेकिन विशेष बलों का हिस्सा नहीं हैं।
मार्च में, भारतीय खिलाड़ियों ने रांची में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीसरे वनडे के दौरान सशस्त्र बलों को श्रद्धांजलि के रूप में विशेष आर्मी कैप पहनी थी। धोनी ने मैच शुरू होने से पहले अपने साथियों को कैप पेश की थी।