विपक्षी उपचुनाव में उलझे तो भाजपा चली ‘मिशन 2022’ की राह

By Team MyNationFirst Published Aug 23, 2019, 8:17 PM IST
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योगी सरकार सभी समीकरणों को साधने हुए और 2022 के विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए कैबिनेट का विस्तार किया है। इस विस्तार के जरिए योगी आदित्यनाथ ने नेताओं और मंत्रियों को ये संदेश दिया है कि जो कार्य करेगा उसे सम्मान भी दिया जाएगा। लिहाजा इसी लिए जिन मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड खराब था उन्हें कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया जबकि कुछ मंत्रियों के विभागों को बदलकर संदेश दिया गया कि वो सुधर जाएं।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने कैबिनेट विस्तार के जरिए मिशन 2022 की तैयारी अभी से शुरू कर दी है। हालांकि विपक्षी दल उपचुनाव के लिए जूझ रहे हैं। लेकिन योगी सरकार ने कैबिनेट का विस्तार अगले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर ही किया है। योगी ने पश्चिम उत्तर प्रदेश को खासतौर से तरजीह दी है जहां पर बसपा मजबूत मानी जाती है।

योगी सरकार सभी समीकरणों को साधने हुए और 2022 के विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए कैबिनेट का विस्तार किया है। इस विस्तार के जरिए योगी आदित्यनाथ ने नेताओं और मंत्रियों को ये संदेश दिया है कि जो कार्य करेगा उसे सम्मान भी दिया जाएगा।

लिहाजा इसी लिए जिन मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड खराब था उन्हें कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया जबकि कुछ मंत्रियों के विभागों को बदलकर संदेश दिया गया कि वो सुधर जाएं। अब राज्य में योगी सरकार का कैबिनेट 56 मंत्रियों का है जबकि कैबिनेट 60 लोगों का हो सकता है।

इस विस्तार के जरिए योगी आदित्यनाथ ने अगले चुनाव के लिए अपनी मंशा को जता दिया है। योगी आदित्यनाथ ने खासतौर से पश्चिमी यूपी को सबसे ज्यादा तरजीह है। क्योंकि लोकसभा चुनाव में भी पार्टी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अच्छा प्रदर्शन किया है। पिछले विधानसभा  चुनाव में भाजपा जाट बेल्ट मे सबसे अच्छा प्रदर्शन किया था।

क्योंकि अगर पार्टी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश को फतह कर लिया तो अन्य क्षेत्रों में भाजपा को ज्यादा मुश्किल नहीं होगी। पश्चिम उत्तर प्रदेश में बीएसपी भी मजबूत है। लिहाजा भाजपा वहां पर पूरी तरह से बीएसपी का सफाया करना चाहती है जबकि राज्य में सपा की ताकत कम हो गई है। कैबिनेट विस्तार में मुजफ्फरनगर के साथ बुलंदशहर और शामली को भी तरजीह दी।

यही नहीं अगड़ो से लेकर अति दलितों तक को समायोजित किया गया। पूर्व उत्तर प्रदेश को ध्यान में रखते हुए बलिया में उपेन्द्र तिवारी के होने बावजूद आनंद शुक्ल को मंत्री बनाया है। वहीं चित्रकूट के विधायक चन्द्रिका उपाध्याय को राज्यमंत्री बनाकर पूरे बुन्देलखण्ड को प्रतिनिधित्व दिया गया है।

जबकि दो प्रदेश महामंत्रियों में अशोक कटारिया व नीलिमा कटियार को मंत्री बनाया गया है। दोनों ओबीसी के नेता माने जाते हैं। इसके साथ ही कानपुर से सत्यदेव पचौरी के सांसद बन जाने के बाद मंत्री पद जाने के बाद दलित नेता कमला रानी और नीलिमा को मौका दिया गया।

मुजफ्फरनगर से कपिलदेव अग्रवाल व विजय कश्यप सरकार में आ गये। वहीं बहराइच से अनुपमा का कैबिनेट से बाहर कर रवीन्द्र जायसवाल को सरकार में शामिल किया गया। इसके जरिए योगी आदित्यनाथ जातीय संतुलन को बनाने में सफल रहे हैं।

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