आज लखनऊ में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल यादव की समाजवादी पार्टी में ढके-छिपे अंदाज में वापसी के संकेत दिए हैं। हालांकि अखिलेश ने साफ तौर पर किसी का नाम नहीं लिया लेकिन उन्होंने कहा कि अगर कोई पार्टी में आना चाहता है उसका स्वागत है। उन्होंने कहा समाजवादी विचार को भी नेता पार्टी में आना चाहता है तो उसके लिए दरवाजे हमेशा खुले हैं।
लखनऊ। समाजवादी पार्टी की राजनीति करवट ले रही है। अभी तक अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोलने वाले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के सुर बदल गए हैं। उन्होंने कहा कि अगर कोई पार्टी में आना चाहता है तो उसका स्वागत है। हालांकि सपा पहले ही पुराने और बागी नेताओं को पार्टी में लाने की कोशिश कर रही है।
आज लखनऊ में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल यादव की समाजवादी पार्टी में ढके-छिपे अंदाज में वापसी के संकेत दिए हैं। हालांकि अखिलेश ने साफ तौर पर किसी का नाम नहीं लिया लेकिन उन्होंने कहा कि अगर कोई पार्टी में आना चाहता है उसका स्वागत है। उन्होंने कहा समाजवादी विचार को भी नेता पार्टी में आना चाहता है तो उसके लिए दरवाजे हमेशा खुले हैं। गौरतलब है कि पिछले हफ्ते ही सपा ने शिवपाल की विधायकी खत्म करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा था।
आज लखनऊ में आयोजित पत्रकार वार्ता में जब पत्रकारों ने अखिलेश यादव से शिवपाल यादव की पार्टी में वापसी की संभावनाओं पर पूछा तो अखिलेश यादव ने कहा, हमारे परिवार में लोकतांत्रिक व्यवस्था है। ऐसे में अगर कोई आना चाहता है तो उसके लिए पार्टी के दरवाजे हमेशा खुले हैं। यहां पर हरएक का स्वागत है। लिहाजा अखिलेश के बाद माने जाने लगा है कि आने वाले दिनों यादव परिवार फिर से एक हो सकता है। असल में शिवपाल और अखिलेश का राजनीति अस्तित्व संकट में है।
वहीं मुलायम सिंह भी परिवार की एकता की कई बार कोशिश कर चुके हैं। लेकिन अब अखिलेश की नरमी से आने वाले दिनों में सपा की राजनीति में बदलाव हो सकता है। असल में शिवपाल सिंह के पार्टी छोड़ने के बाद सपा को लगातार नुकसान ही हुआ है। सपा विधानसभा चुनाव में सत्ता से बेदखल हो गई और वह महज 47 सीटें ही जीत सकी जबकि लोकसभा चुनाव में उसका प्रदर्शन अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन रहा है। जिसमें उसने केवल पांच सीटें ही जीती।
कभी शिवपाल ने पढ़ाया अखिलेश को सियासत का पाठ
अखिलेश यादव को उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव ने सियासत का ककहरा सिखाया। लेकिन बाद में अखिलेश ही शिवपाल दुश्मन हो गए। दोनों के संबंध इस कदर बिगड़े की शिवपाल को पार्टी छोड़नी पड़ी। लेकिन अब अखिलेश को समझ में आ गया है कि शिवपाल को उनको अपने करीब रखने में कितना फायदा है।