प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की एक और कूटनीतिक जीत हुई है। ईरान पर अमेरिका के प्रतिबंध के बावजूद भारत वहां के चाबहार बंदरगाह पर का जारी रखेगा। यह छूट सिर्फ भारत के लिए है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने ईरान पर अब तक का सबसे कठोर प्रतिबंध लगाया है और वह बेहद सख्ती भी दिखा रहे हैं।
लेकिन ईरान में रणनीतिक महत्व के चाबहार पोर्ट के विकास के लिए भारत को इन प्रतिबंधों स छूट मिली है। इसमें चाबहार पोर्ट को अफगानिस्तान से जोड़ने वाली रेलवे लाइन का निर्माण भी शामिल है।
ट्रंप ने यह फैसला इसलिए किया है क्योंकि ईरान का चाबहार बंदरगाह अफगानिस्तान के बिल्कुल पास में स्थित है और यह युद्ध की त्रासदी झेल चुके अफगानिस्तान के विकास में बेहद रणनीतिक महत्व रखता है।
ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों के लागू होने के बाद अब चाबहार का भविष्य क्या होगा, इस सवाल के जवाब में अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा, 'इस छूट का संबंध अफगानिस्तान के पुनर्निमाण एवं आर्थिक विकास में सहयोग से है। अफगानिस्तान के विकास और वहां मानवीय सुविधाएं मुहैया कराने में मदद की दृष्टि से ये कार्य काफी जरूरी हैं।'
अमेरिकी विदेश विभाग के एक प्रवक्ता ने कहा, 'बेहद सोच-विचार के बाद विदेश मंत्री ने चाबहार पोर्ट के विकास, अफगानिस्तान में इस्तेमाल आनेवाले गैर-प्रतिबंधात्मक वस्तुओं की ढुलाई के लिए संबंधित रेलवे लाइन के निर्माण के साथ-साथ ईरान के पेट्रोलियम उत्पादों के आयात से ईरान फ्रीडम ऐंड काउंटर-प्रोलिफरेशन ऐक्ट, 2012 के तहत भारत को कुछ प्रतिबंधों से छूट दे दी है।'
दरअसल, भारत को ईरान में चाबहार बंदरगाह के विकास के लिए मिली छूट अगस्त महीने में राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा दक्षिण एशियाई रणनीति से प्रेरित है। इसमें कहा गया है कि अफगानिस्तान में शांति और विकास की वापसी में भारत की बड़ी भूमिका है।
खास बात यह है कि प्रतिबंध के बावजूद अमेरिका ने भारत को ईरान से तेल मंगाने में भी छूट दे रखी है।