- पुलवामा में आतंकी हमले में 40 से ज्यादा जवानों की शहादत के बाद से सरकार, सुरक्षा बल, खुफिया एजेंसियां और कूटनीतिक मिशन लगातार सक्रिय हैं और किसी बड़ी कार्रवाई की जमीन तैयार कर रहे हैं।
पाकिस्तान के पोषित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी द्वारा पुलवामा में किए गए हमले के बाद से अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा पर तनाव वाली खामोशी है। पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का मन बना चुकी नरेंद्र मोदी सरकार ने दुनिया भर के देशों से संपर्क शुरू कर दिया है। विदेश विभाग के अधिकारियों ने नई दिल्ली में करीब 30 देशों के राजदूतों से चर्चा की है। विदेश विभाग में सबसे ज्यादा सक्रियता देखी जा रही है।
पुलवामा में आतंकी हमले में 40 से ज्यादा जवानों की शहादत के बाद से सरकार, सुरक्षा बल, खुफिया एजेंसियां और कूटनीतिक मिशन लगातार सक्रिय हैं और किसी कार्रवाई की जमीन तैयार कर रहे हैं।
Delhi: Representatives from different diplomatic missions leave from the Ministry of External Affairs. Representatives from Bangladesh, Sri Lanka, Afghanistan, Nepal, South Korea, Sweden, Bhutan, Canada, Britain, Russia, Israel & others were present. pic.twitter.com/eN5BVVqWYe
— ANI (@ANI)दिल्ली के साउथ ब्लॉक में विदेश और रक्षा मंत्रालय में मीडिया का प्रवेश बंद कर दिया गया है। ताकि किसी भी तरह की सूचना को लीक होने से रोका जा सके। सुरक्षा बलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। हालांकि जम्मू-कश्मीर में सैन्य काफिलों की आवाजाही रोक दी गई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से कड़ी कार्रवाई की बात सीधे कहे जाने से माना जा रहा है कि कुछ बड़ा होने वाला है। साउथ ब्लॉक में सक्रियता बढ़ी है। सूत्रों के अनुसार, भारत में चल रही सरगर्मी के बाद पाकिस्तान के सैन्य प्रतिष्ठानों में हलचल है। भारत की ओर से संभावित कार्रवाई को लेकर पाकिस्तानी सेना भी अटकलें लगा रही है।
आमतौर पर किसी बड़ी कार्रवाई से पहले सभी अहम देशों को भरोसे में लिया जाता है। यही वजह है कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों और ज्यादा से ज्यादा देशों को भरोसे में लिया है।
उधर, पाकिस्तान की इमरान खान सरकार भारत के कड़े रुख से सन्न है। उसने पुलवामा हमले में हाथ होने से इनकार किया है। पाकिस्ता के विदेश विभाग ने एक बयान जारी कर कहा कि पुलवामा में हुआ आतंकी हमला चिंता का एक बड़ा कारण है। हालांकि भारत में हुई किसी भी आतंकी वारदात से पल्ला झाड़ना पाकिस्तान की पुरानी आदत रही है।
Representatives from Bangladesh, Sri Lanka, Afghanistan and Nepal also present at Ministry of External Affairs. pic.twitter.com/wdFJZmHTIG
— ANI (@ANI)मोदी सरकार ने कई देशों के प्रतिनिधियों के साथ बात की है। इनमें बांग्लादेश, श्रीलंका, अफगानिस्तान, नेपाल, जर्मनी, हंगरी, इटली, यूरोपीय यूनियन, कनाडा, ब्रिटेन, रूस, इस्राइल, ऑस्ट्रेलिया और जापान शामिल हैं। इसके अलावा विदेश सचिव ने पी-5 यानी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों अमेरिका, रूस, फ्रांस, चीन और ब्रिटेन से भी संपर्क साधा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए कहा कि इस तरह के हमले भारत को कमजोर नहीं कर पाएंगे। पुलवामा हमले को अंजाम देने वालों और आतंकियों को समर्थन देने वालों को इसकी बहुत बड़ी कीमत चुकानी होगी। मोदी ने सीधे और कड़े शब्दों में कहा कि सुरक्षा बलों को आतंकवाद के खात्मे के लिए पूरी छूट दे दी गई है। इस समय देश के लोगों का खून खौल रहा है।
इससे पहले, दिल्ली से वाराणसी के बीच सेमी-हाईस्पीड ट्रेन की शुरुआत के मौके पर पीएम ने कहा, 'हमारा पड़ोसी सोचता है कि इस तरह के आतंकी हमलों से हमें कमजोर कर देगा। उसकी मंशा कभी पूरी नहीं हो पाएगी। हमने सेना को पूरी छूट दे दी है। जवाबी कार्रवाई कब, कहां और कैसे करनी है, यह अब सेना तय करेगी।'
कई देशों तक कूटनीतिक पहुंच का अर्थ यह है कि किसी जवाबी कार्रवाई से पहले मोदी सरकार दुनिया भर के देशों को भरोसे में लेना चाहती है।
इस बीच, जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों के काफिले की गतिविधियां रोक दी गई हैं। साल 2016 में उड़ी में हुए आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक की थी। पहली बार भारतीय सैनिकों ने एलओसी के पार जाकर पाकिस्तान द्वारा चलाए जा रहे आतंकी प्रशिक्षण शिविरों और लांच पैड को निशाना बनाया था। इस कार्रवाई में कई आतंकी और पाकिस्तानी सैनिक मारे गए थे।