अब लादेन की तरह होगा देश के दुश्मनों का खात्मा, घातक मिशन के लिए बनी स्पेशल ऑपरेशन डिवीजन

By Shashank Shekhar  |  First Published May 15, 2019, 1:38 PM IST

सेना के पैरा स्पेशल फोर्स, वायुसेना के गरूड़ और नौसेना के मार्कोस कमांडो होंगे शामिल। मेजर जनरल एके ढींगरा आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल ऑपरेशन डिवीजन के पहले प्रमुख नियुक्त। 

दुनिया के सबसे दुर्दांत आतंकी ओसामा बिन लादेन की तरह देश के दुश्मनों के खात्मे के लिए भारत ने अमेरिका की स्पेशल ऑपरेशन कमांड की तर्ज पर तीनों सेनाओं के बेस्ट कमांडो वाली एक स्पेशल ऑपरेशन डिवीजन गठित कर दी है। मेजर जनरल एके ढींगरा को आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल ऑपरेशन डिवीजन का पहला प्रमुख बनाया गया है। 

इस डिवीजन का काम क्लासीफाइड, गोपनीय और आतंकवाद रोधी मिशन को अंजाम देना होगा। इस डिवीजन में सेना के पैरा स्पेशल फोर्स, वायुसेना के गरूड़ और नौसेना के मार्कोस कमांडो को शामिल किया जाएगा। भविष्य के युद्धों के लिए तीनों सेनाओं में तालमेल बनाने के लिए इस डिवीजन का गठन किया गया है। इससे सीमापार चलाए जाने वाले ऑपरेशन की क्षमता को बढ़ाने में मदद मिलेगी। 

यह सारी कवायद तीनों सेनाओं के सर्वश्रेष्ठ कमांडो को एक साथ मिलाकर एक घातक बल तैयार करने की है। यह इकाई अमेरिका की स्पेशल ऑपरेशन कमांड के तर्ज पर काम करेगी। अमेरिका की इसी कमांड ने दुनिया के सबसे दुर्दांत आतंकवादी ओसामा बिन लादेन के पाकिस्तान के ऐबटाबाद में मार गिराया था। 

इस समय तीनों सेनाओं की स्पेशल ऑपरेशन डिवीजन से कमांडो को जुटाने की  प्रक्रिया चल रही है। शुरुआत में इसमें 150-200 कमांडो होंगे। बाद में यह संख्या बढ़ाकर 2000 से 3000 कमांडो तक की जाएगी। इस बल में वायुसेना और नौसेना के मुकाबले सेना के ज्यादा कमांडो होंगे। सेना की यह स्पेशल डिवीजन इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टॉफ (आईटीएस) के तहत काम करेगी। यह तीनों सेनाओं के बीच तालमेल के लिए जिम्मेदार इकाई है। इस स्पेशल डिवीजन की अगुवाई मेजर जनरल रैंक के अधिकारी को सौंपी गई है। फिलहाल तीनों सेनाओं के पास अपनी-अपनी स्पेशल फोर्स है और ये सभी अलग-अलग काम करते हैं। अब एक संयुक्त बल बनाकर तीनों सेनाओं के सर्वश्रेष्ठ कमांडो को एक साथ प्रशिक्षित किया जाएगा, जहां तीनों सेनाओं की विशेषज्ञता एक दूसरे के काम आएगी। 

डिवीजन के काम करने के साथ ही तीनों सेनाओं के कमांडो को एक जगह पर प्रशिक्षित किया जाएगा। उन्हें शांतिकाल और युद्धकाल में स्पेशल मिशन को अंजाम देने की ट्रेनिंग दी जाएगी। इस बल को ऐसे प्रशिक्षित किया जाएगा कि वे किसी भी मिशन को अंजाम देने के लिए बहुत कम समय में तैयार रहें। 

अधिकारियों के मुताबिक, इस डिवीजन में सेना की अहम भूमिका होगी क्योंकि उसके पास इस तरह के मिशन को अंजाम देने का पेशेवर अनुभव है। उसकी स्पेशल यूनिट के पास अपने हेलीकॉप्टर, ट्रांसपोर्ट प्लेन और स्पेशल हथियार हैं। इसके अलावा सेना की यह यूनिट सामरिक मिशन को अंजान देने के लिए सर्विलांस उपकरणों से भी लैस है।

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यह विशेष दस्ता सामरिक महत्व के मिशन को अंजाम देगा। इन पर देश के अंदर और विदेशी जमीन पर ऑपरेशन को अंजाम देने की जिम्मेदारी होगी। हाल ही भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में हवाई हमले को अंजाम दिया था। इससे पहले साल 2016 में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में एक बड़े इलाके में सर्जिकल स्ट्राइक की गई थी। इस विशेष बल को सामरिक प्रतिष्ठानों, हाई वैल्यू टॉरगेट यानी बड़े और मोस्ट वांटेड आतंकियों को निशाना बनाने का जिम्मा दिया जाएगा। साथ ही इस टीम का मिशन दुश्मन की युद्ध क्षमता को कम करना होगा। 

अमेरिका की स्पेशल ऑपरेशन कमांड द्वारा ओसामा बिन लादेन के खात्मे के बाद इस तरह की डिवीजन बनाने का विचार 2012 में गठित नरेश चंद्रा कमेटी और कई सैन्य अधिकारियों ने सुझाया था। पूर्व में इसे स्पेशल ऑपरेशन कमांड के नाम दिया गया था। 

अधिकारियों का कहना था कि भारत के पास भी इस तरह की क्षमता होनी चाहिए। तीनों सेनाओं के कमांडो का संयुक्त बल बनाकर सीमा के अंदर अथवा सीमा के पार संवेदनशील मिशन को अंजाम दिया जा सकता है। 

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