भारत को घेरने के लिए चीन ने रिंग ऑफ पर्ल्स की योजना बनाई थी। जिसके तहत श्रीलंका में हंबनटोटा और पाकिस्तान के ग्वादर में पोर्ट स्थापित किए गए। लेकिन अब भारत ने चीनी खुराफात का जवाब देने का फैसला किया है।
हिंद महासागर में चीन की बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए भारतीय नौसेना ने अंडमान निकोबार द्वीप समूह में तीसरा बड़ा नौसैनिक अड्डा बनाने का फैसला किया है। जिससे कि मलक्का जलडमरू मध्य की निगरानी की जा सके।
जल्द ही नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा आइएनएस कोहासा नाम के इस नए नौसैनिक अड्डे का उद्घाटन करेंगे। यह पोर्ट ब्लेयर से 300 किलोमीटर की दूरी पर होगा।
इस द्वीप पर फिलहाल एक हजार मीटर की हवाई पट्टी है जिससे डोर्नियर सर्विलांस प्लेन और हेलीकॉप्टर उड़ सकते हैं। जल्द ही वहां तीन हजार मीटर लंबी हवाई पट्टी विकसित की जाएगी जिससे सभी तरह के लड़ाकू विमान उड़ सकेंगे।
भारतीय नौसेना को अंडमान निकोबार द्वीप समूह पर नौसैनिक अड्डे की जरुरत इसलिए महसूस हो रही थी क्योंकि साल 2014 में चीन की एक पनडुब्बी श्रीलंका के कोलंबो बंदरगाह के नजदीक पहुंच गई थी। जिसपर भारत सरकार ने आपत्ति जताई थी। जिसके बाद श्रीलंका ने चीन से कहकर इस पनडुब्बी को वहां से हटवाया था।
हिंद महासागर से हर साल एक लाख बीस हजार कमर्शियल जहाज गुजरते हैं, जिसमें से 70 हजार मलक्का जलडमरु मध्य के बिल्कुल पास से होकर जाते हैं, क्योंकि यह रास्ता छोटा पड़ता है।
भारतीय नौसेना का यह नया अड्डा शांतिकाल में हमारे व्यवसायिक जहाजों को सुरक्षा भी प्रदान करेगा।