असल में राज्य की जगन मोहन रेड्डी सरकार ने कुछ दिन पहले राज्य के हिंदू धार्मिक मंदिरों की जमीनों को गरीबों में बांटने का फैसला किया था। लिहाजा इसका सीधे तौर पर विरोध हो रहा था। क्योंकि सरकार का फैसला एक तरफा था। यानी इस फैसले में अन्य धार्मिक स्थलों को शामिल नहीं किया गया था। जिसका विरोध हिंदू संगठन और भाजपा कर रही थी। यही नहीं इसके कारण राज्य सरकार की किरकिरी हो रही थी।
नई दिल्ली। आंध्र प्रदेश की जगन मोहन रेड्डी सरकार ने मंदिरों की जमीन को गरीबों में बांटने का फैसला वापस ले लिया है। इसके लिए राज्य में भाजपा और हिंदू संगठन विरोध कर रहे थे। जिसके बाद राज्य सरकार को इस फैसले को वापस लेना पड़ा है। हालांकि राज्य सरकार ने ये फैसला केवल हिंदू धार्मिक स्थलों के लिए लिया था। जबकि राज्य के अन्य धार्मिक स्थानों को इससे अलग रखा था। जिसका सीधे तौर पर विरोध किया जा रहा था।
असल में राज्य की जगन मोहन रेड्डी सरकार ने कुछ दिन पहले राज्य के हिंदू धार्मिक मंदिरों की जमीनों को गरीबों में बांटने का फैसला किया था। लिहाजा इसका सीधे तौर पर विरोध हो रहा था। क्योंकि सरकार का फैसला एक तरफा था। यानी इस फैसले में अन्य धार्मिक स्थलों को शामिल नहीं किया गया था। जिसका विरोध हिंदू संगठन और भाजपा कर रही थी। यही नहीं इसके कारण राज्य सरकार की किरकिरी हो रही थी। जिसके बाद राज्य सरकार को इस फैसले को वापस लेना पड़ा था।
जगन मोहन रेड्डी ने फैसला किया था कि वह अगले साल तेलुगु नववर्ष 'उगाड़ी' पर 25 लाख से अधिक लोगों को घर या जमीन देंगे। जिसके लिए उन्होंने सीधे तौर पर हिंदू मंदिरों को टारगेट किया था। इसके लिए राज्य के विशेष मुख्य सचिव (राजस्व) मनमोहन सिंह ने सभी जिलों के जिलाधिकारियों से ग्रामीण स्तर पर भूमि की पहचान करने का आदेश दिया था। राज्य सरकारी की इस योजना के तहत गरीब भूमिहीन लोगों के लिए करीब 40,000 एकड़ जमीन की जरूरत होगी।
जिसे उन्हें वितरित किया जाना है। लेकिन राज्य सरकार की इस योजना का राज्य में ही विरोध शुरू हो गया था। हिंदू संगठनों और भाजपा ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि वह केवल हिंदू धार्मिक स्थलों को टारगेट कर रही है। जबकि अन्य धार्मिक संस्थाओं के पास भी बहुत जमीन है। जिसके बाद राज्य सरकार की किरकिरी हुई। जिसके बाद इस फैसले को वापस लिया गया है।