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जेएनयू देशद्रोह मामलाः केजरीवाल ने फाइल 'दबाई' तो एलजी दे सकते हैं मामला चलाने की इजाजत

ankur sharma |  
Published : Jan 21, 2019, 03:47 PM IST
जेएनयू देशद्रोह मामलाः केजरीवाल ने फाइल 'दबाई' तो एलजी दे सकते हैं मामला चलाने की इजाजत

सार

दिल्ली सरकार चार्जशीट का पूरी तरह अध्ययन करने के बाद ही आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की इजाजत देगी। दिल्ली सरकार की लीगल टीम यह देखेगी कि देशद्रोह के इस मामले में पुलिस के पास पर्याप्त सबूत एवं गवाह हैं भी अथवा नहीं। 

जेएनयू में देशद्रोही नारों के मामले में चार्जशीट के भविष्य का फैसला अब दिल्ली सरकार को करना है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने कोर्ट में कहा है कि यह अब अरविंद केजरीवाल सरकार पर है कि वह जेएनयू में देश विरोधी नारेबाजी करने वाले छात्रों के खिलाफ देहद्रोह का मुकदमा चलाने की इजाजत देती है अथवा नहीं। हालांकि कहानी का दूसरा पहलू यह भी है कि इस मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के अधिकार काफी सीमित हैं। वह राज्य सरकार की कानूनी टीम की मदद ले सकते हैं। यह टीम दिल्ली पुलिस के लिए मामले लड़ती है। 

दिल्ली के कई मामलों की तरह इसमें भी उपराज्यपाल अनिल बैजल के पास सुप्रीम पावर है। वह मामले में अभियोजन के लिए मंजूरी देने वाली सबसे बड़ी अथॉरिटी हैं। अलबत्ता, दिल्ली के सीएम अभियोजन की मंजूरी वाली फाइल को अपने पास रखकर इसमें देरी कर सकते हैं। 'माय नेशन' ने इसे लेकर कई आईएएस और आईपीएस अधिकारियों से बात की। सभी का यह कहना था कि उपराज्यपाल जितनी जल्दी चाहें,  फाइल को आगे भेज सकते हैं, क्योंकि इस मामले में वही सर्वेसर्वा हैं। 

दूसरे मामलों की तरह इस मामले में भी पुलिस को शिकायत की गई। आमतौर पर पीड़ित अथवा उसके परिवार की ओर से शिकायत दी जाती है। लेकिन इस मामले में शिकायत सरकार की ओर से की गई, क्योंकि यह मामला सरकार के खिलाफ था। इसलिए उस राज्य की सरकार की ओर से अनुमति लिया जाना आवश्यक है, जहां यह घटना हुई थी। दिल्ली सरकार चार्जशीट का पूरी तरह अध्ययन करने के बाद आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की इजाजत देगी। दिल्ली सरकार की लीगल टीम यह देखेगी कि देशद्रोह के इस मामले में पुलिस के पास पर्याप्त सबूत एवं गवाह हैं भी अथवा नहीं। 

अब दिल्ली पुलिस जेएनयू मामले की चार्जशीट दिल्ली सरकार को सौंपेगी। इस बात की संभावना है कि फाइल दिल्ली सरकार के कानूनी विभाग के पास जाएगा। ताकि दिल्ली सरकार के वकील इसे देख सकें। यही केजरीवाल के अधिकारक्षेत्र में है। दिल्ली  सरकार के वकीलों के काउंसिल के मुखिया आम आदमी पार्टी के पूर्व सदस्य राहुल मेहरा हैं। उनके पास चार्जशीट को पढ़ने और उसमें मौजूद खामियों की ओर ध्यान दिलाने का मौका होगा। चार्जशीट को हरी झंडी देने के लिए कोई समयसीमा निर्धारित नहीं है। खास बात यह है कि सरकार के वकील पुलिस द्वारा गवाहों और साक्ष्यों के आधार पर लगाए गए देशद्रोह के आरोपों को नकार सकते हैं।

दिल्ली के उपराज्यपाल गृह विभाग के जरिये दिल्ली पुलिस को अभियोजन चलाने की इजाजत दे सकते हैं। अगर इस मामले में सरकार के वकील की ओर से देरी की जाती है तो उपराज्यपाल अनिल बैजल सीधे उन्हें फाइल सौंपने के लिए कह सकते हैं। साथ ही तुरंत मंजूरी दे सकते हैं। वह सरकार के वकीलों से एक समयसीमा के भीतर काम पूरा करने के लिए भी कह सकते हैं। 

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