मंदिरों की जमीन बेचेगी कमलनाथ सरकार!

By Team MyNation  |  First Published Feb 5, 2020, 10:02 AM IST

हाल ही में राज्य की कमलनाथ सरकार ने रात 10 बजे से सुबह  6 बजे लाउडस्पीकर को बंद करने का आदेश दिया था। इसेक पीछे राज्य सरकार के तर्क थे कि सुप्रीम कोर्ट ने ध्वनि प्रदूषण के लिए आदेश दिए हैं। जिसके तहत कार्यवारी की गई है। वहीं राज्य की विपक्षी दल भाजपा का कहना था कि मंदिरों में  पूजा छह बजे से पहले होती है।

भोपाल। मध्य प्रदेश में जल्द ही राज्य की कमलनाथ सरकार राज्य के मंदिरों की जमीनों को बेचने का फैसला कर सकती है। हालांकि अभी तक सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया है। लेकिन माना जा  रहा है कि राज्य सरकार मंदिरों के पास मौजूद जमीन को नीलाम करने की योजना बना रही है। जिसका राज्य की भाजपा विरोध कर रही है। भाजपा ने इस हिंदू विरोधी कदम बताते हुए विरोध जताया है।

हाल ही में राज्य की कमलनाथ सरकार ने रात 10 बजे से सुबह  6 बजे लाउडस्पीकर को बंद करने का आदेश दिया था। इसेक पीछे राज्य सरकार के तर्क थे कि सुप्रीम कोर्ट ने ध्वनि प्रदूषण के लिए आदेश दिए हैं। जिसके तहत कार्यवारी की गई है। वहीं राज्य की विपक्षी दल भाजपा का कहना था कि मंदिरों में  पूजा छह बजे से पहले होती है। लिहाजा राज्य सरकार ने ये फैसला दिया है। राज्य सरकार का ये फैसला धर्म विशेष के लोगों  को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया है। वहीं अब राज्य की कमलनाथ सरकार मंदिरों की जमीन की नीलामी के मामले में घिर गई है।

क्योंकि राज्य के धार्मिक न्यास और धर्मस्व विभाग द्वारा मंदिरों की जमीन नीलाम करने की योजना तैयार की है। सरकार का कहना है कि कई मंदिरों के पास कई एकड़ जमीन है। जिसे नीलाम कर इससे आना वाले धन से  मंदिरों का अच्छे तरीके से निर्माण कराया जाएगा। जिसको लेकर अब भाजपा और कांग्रेस आमने सामने हैं। भाजपा ने इसे राज्य सरकार का हिंदू विरोध कदम बताया है। चर्चा है कि राज्य सरकार जल्द ही इस प्रस्ताव को कैबिनेट में ला सकती है।

जिसके बाद मंजूरी मिलने के बाद जमीन को नीलाम किया जाएगा।  हालांकि इससे पहले आंध्र प्रदेश की जगन मोहन रेड्डी सरकार भी इस तरह का फैसला कर चुकी है।लेकिन विरोध के चलते वह राज्य में इसे लागू नहीं कर सकी थी। रेड्डी सरकार ने राज्य के मंदिरों के पास जमीन को नीलाम करने का फैसला किया था। लेकिन राज्य में भाजपा और जनता द्वारा विरोध करने के बाद सरकार को इस प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डालना पड़ा था।
 

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