खजुराहो की धरा पर बना गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड, राग बसंत की लय पर 1484 साधकों के थिरकते कदमों में दिखी सांस्कृतिक

By Surya Prakash TripathiFirst Published Feb 21, 2024, 4:08 PM IST
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छतरपुर स्थित खजुराहो की संस्कृत धरोहर में आज चार चांद लग गया। 1484 कथक नृत्य साधकों ने अपनी प्रतिभा की अमिट छाप छोड़कर गिनीज वर्ल्ड आप बुक में अपना नाम स्वर्णाक्षरों में दर्ज कर दिया।

छतरपुर। मध्य प्रदेश प्रमुख सांस्कृतिक सामाजिक और ऐतिहासिक स्थलों में शामिल खजुराहो की पवित्र भूमि पर राग बसंत किले पर 1484 कथक नृत्य साधकों के सधे कदमों पर पूरी दर्शक दीर्घा तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठी। हवा में लहराते हाथों के मध्य कथक नृत्य पर थिरकते 1484 साधकों के पैरों में बंधे घुंघरू की झंकार में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल में शामिल खजुराहो के माथे पर एक और उपलब्धि का टीका लगा दिया 50 में खजुराहो नृत्य समारोह की यह ऐतिहासिक उपलब्धि गिनीज बोर्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो गई मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव के प्राचीन वाद्य यंत्र नगाड़ा की ताल और घुंघरू की झंकार के बीच मनाया महोत्सव ऐतिहासिक बन गया।

मुख्यमंत्री ने कहा ईश्वर प्राप्ति का प्रमुख साधन है नृत्य साधना
सुप्रसिद्ध नित्य गुरु राजेंद्र गंगानी की कोरियोग्राफी में प्रदेश के विभिन्न शहरों से आए नर्तक नृत्यांगनाओं ने 20 मिनट के प्रस्तुति को राग बसंत में निबंध कर मनमोहक प्रस्तुति दी। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने इस दौरान कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जिस तरह से देश की धार्मिक एवं सांस्कृतिक धरोहरों का पुनर्गठन हो रहा है, वह किसी उत्सव से काम नहीं है। भगवान नटराज महादेव को समर्पित यह साधना कि यह उपलब्धि हमारे देश की संस्कृति का मुकुट बनकर आने वाली पीढियां का मार्गदर्शन करेगी। उन्होंने कहा कि परमेश्वर से सीधा संपर्क करने का सबसे पवित्र माध्यम नृत्य आराधना है। जिसकी तपस्या जितनी कठिन है, उतनी ही मनमोहक है। कम डॉक्टर मोहन यादव ने इस दौरान प्रदेश के कोने-कोने से आए नृत्य गुरुओं और नर्तक नृत्यांगनाओ को उनकी इस वैश्विक उपलब्धि को प्राप्त करने की बधाई और शुभकामनाएं दी।

सीएम ने खजुराहो में गुरुकुल स्थापित करने की घोषणा की
वर्ल्ड रिकॉर्ड की उपलब्धि को विशेष बताते हुए खजुराहो में देश के पहले जनजाति और लोक कलाओं के प्रशिक्षण के लिए गुरुकुल स्थापित किए जाने की घोषणा भी की। मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरुकुल में जनजाति और ग्रामीण समुदायों की पारंपरिक कलाओं मसलन शिल्प, चित्र, वादन, गायन, नृत्य और उनके मौखिक साहित्य को वरिष्ठ और अनुभवी गुरुओं के जरिए प्रशिक्षण दिलाने की व्यवस्था कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि इस गुरुकुल की परिकल्पना कुछ इस तरह से होगी कि जहां ग्रामीण जनजीवन में उनके समग्र विकास के साथ-साथ पारंपरिक हुनर और देशज ज्ञान पद्धतियों को संरक्षण मिले और पूर्वजों के विरासत को भी विस्तार करने का अवसर प्रदान हो। संस्कृति पर्यटन और धार्मिक न्यास एवं धर्मस्य राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार धर्मेंद्र सिंह लोधी, खजुराहो सांसद बीडी शर्मा, प्रमुख सचिव संस्कृति और पर्यटन शिवशेखर शुक्ला समेत भारी संख्या में कला प्रेमी और आमजन इस ए ऐतिहासिक पाल के गवाह बने।

डेढ़ माह पहले ग्वालियर में भी बना था रिकार्ड
गौरतलब है कि विश्व संगीत नगरी ग्वालियर में डेढ़ माह पहले ही तानसेन समारोह के अंतर्गत ताल दरबार कार्यक्रम में एक साथ 1282 तबला वादकों की प्रस्तुति में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में मध्य प्रदेश की उपलब्धि स्थापित कराई थी।

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