महाराष्ट्र में कांग्रेस के 44 विधायकों में 37 विधायकों के साथ राज्य में सरकार बनाने की वकालत की है। विधायकों का कहना है कि अगर कांग्रेस पार्टी विपक्ष में बैठी तो कार्यकर्ताओं का जोश खत्म हो जाएगा और इससे राज्य कांग्रेस का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा। विधायकों का सरकार के साथ जाने में ये तर्क दिए गए थे कि राज्य में शिवसेना के कठोर हिंदुत्ववादी एजेंडे को किनारे करना होगा।
मुंबई। महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ सरकार बनाने को लेकर कांग्रेस के ज्यादातर नेता कांग्रेस की अतंरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी की तारीफ कर रहे हैं। वहीं कांग्रेस के नेता और पूर्व सांसद संजय निरूपम सोनिया गांधी के इस फैसले के खिलाफ सवाल उठा रहे हैं। निरूपम का कहना है कि कांग्रेस के शिवसेना के साथ सरकार बनाने पर राज्य में भाजपा मजबूत होगी और पार्टी की स्थिति वैसी ही होगी, जैसी हालत यूपी में है।
महाराष्ट्र में कांग्रेस के 44 विधायकों में 37 विधायकों के साथ राज्य में सरकार बनाने की वकालत की है। विधायकों का कहना है कि अगर कांग्रेस पार्टी विपक्ष में बैठी तो कार्यकर्ताओं का जोश खत्म हो जाएगा और इससे राज्य कांग्रेस का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा। विधायकों का सरकार के साथ जाने में ये तर्क दिए गए थे कि राज्य में शिवसेना के कठोर हिंदुत्ववादी एजेंडे को किनारे करना होगा। जिसके असर कांग्रेस के सेक्युलर के एजेंडे में नहीं पड़ेगा। फिलहाल शिवसेना ने भी अपने उग्र हिंदुत्व के एजेंडे को नरम करने का फैसला किया है।
लेकिन पूरे महाराष्ट्र में सोनिया गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद किए गए इस बड़े फैसले पर संजय निरूपम ही सवाल उठा रहे हैं। संजय निरुपम पहले ही से ही राज्य में शिवसेना के साथ सरकार बनाने के खिलाफ हैं। गौरतलब है कि संजय निरुपम भी कभी शिवसैनिक हुआ करते थ। उसके बाद उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया। निरूपम का कहना है कि शिवसेना के साथ जाने का असली फायदा भाजपा को होगा। क्योंकि शिवसेना के राज्य में कमजोर होने का सीधा फायदा भाजपा को मिलेगा।
फिलहाल संजय निरुपम ने इसे भाजपा के लिए हर हाल में जीत बताया है। निरूपम का दावा है कि अब शिवसेना के साथ जाने से पार्टी की महाराष्ट्र में स्थिति यूपी जैसी ही हो जाएगी। संजय निरूपम ने अपने ट्वीट में लिखा है कि कांग्रेस भाजपा को रोकने के लिए शिवसेना से हाथ मिला रही है। मगर ‘तीन तिगाड़े काम बिगाड़े’वाली सरकार चलेगी कब तक?