हालांकि खुफिया विभाग को जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक धार्मिक संगठनों की कई गोपनीय बैठकें हो रही हैं। जो आने वाले समय में माहौल को खराब कर सकती हैं। अयोध्या का फैसला भारत के इतिहास में सबसे बड़ा फैसला माना जा रहा है। हालांकि धार्मिक संगठनों के लोग जनता के सामने तो ये कह रहे हैं कि जो भी कोर्ट का फैसला आएगा वह सबको मान्य होगा।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में पूरी हो चुकी अय़ोध्या मामले में सुनवाई से पहले राजनैतिक तौर पर सरगर्मी तेज है। वहां धार्मिक नेताओं की तरफ से बयान दिया जा रहा है कि इस फैसला का सम्मान किया जाना चाहिए। वहीं प्रशासन भी हिन्दू-मुस्लिम संगठनों पर नजर रख रहा है। खुफिया एजेंसियां इन नेताओं के मोबाइल और गतिविधियों पर नजर रख रही है।
असल में सुप्रीम कोर्ट के बाद माना जा रहा है कि देश का माहौल खराब हो सकता है। क्योंकि कोर्ट का फैसला किसी भी एक पक्ष में आए तो दूसरे पक्ष के लोग विरोध कर सकते हैं। लिहाजा इन नेताओं पर खुफिया विभाग द्वारा नजर रखी जा रही है। हालांकि खुफिया विभाग को जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक धार्मिक संगठनों की कई गोपनीय बैठकें हो रही हैं।
जो आने वाले समय में माहौल को खराब कर सकती हैं। अयोध्या का फैसला भारत के इतिहास में सबसे बड़ा फैसला माना जा रहा है। हालांकि धार्मिक संगठनों के लोग जनता के सामने तो ये कह रहे हैं कि जो भी कोर्ट का फैसला आएगा वह सबको मान्य होगा। लेकिन कुछ संगठन और लोग इसका विरोध कर माहौल खराब करने की कोशिश कर सकते हैं।
लिहाजा खुफिया एजेंसी और पुलिस इन नेताओं पर नजर रखी है। पुलिस और खुफिया एजेंसियों ने इन संगठनों के प्रमुख नेताओं के मोबाइल नंबरों को सर्विलांस पर रख दिया है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई 17 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं और इससे पहले अयोध्या का फैसला आने की उम्मीद है। क्योंकि गोगोई पहले ही कह चुके हैं कि इस मामले को अब ज्यादा नहीं लटकाया जा सकता है।
उधर इस मामले की गंभीरता को देखते हुए अयोध्या की सुरक्षा व्यवस्था भी चाक-चौबंद कर दी गई है। वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी हरिद्वार में होने वाला अधिवेशन रद कर दिया है। यही नहीं दिवाली से पहले विश्व हिंदू परिषद ने भी अयोध्या में होने वाले कार्यक्रम को रद्द कर दिया था।