‘लक्ष्मी’ के चक्कर में जेल गई लेडी सिंघम लक्ष्मी

By Team MyNationFirst Published Nov 8, 2019, 9:42 AM IST
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लक्ष्मी चौहान गाजियाबाद में लेडी सिंघम के नाम से जानी जाती थी। अकसर मीडिया में लक्ष्मी के कारनामों की खबरें छपती थी। लेकिन जब जब उसके खिलाफ ही उसके थाने में रिपोर्ट लिखी गई तो लेडी सिंघम पुलिस अफसर लक्ष्मी चौहान फरार लक्ष्मी हो चुकी थी। असल में गाजियाबाद के लिंक रोड थाना के प्रभारी थीं।

गाजियाबाद। अकसर अपने दबंग छवि के कारण मीडिया की सुर्खियां बनने वाली गाजियाबाद पुलिस की अफसर लक्ष्मी चौहान अब जेल के सलाखों के पीछे हैं। कोर्ट ने भी उसकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। जिसके बाद दबाव में लक्ष्मी को कोर्ट में सरेंडर करना पड़ा। असल लक्ष्मी जेल लक्ष्मी के चक्कर में ही गई। क्योंकि उसमें लूट के 70 लाख रुपये गबन किए थे। जिसके बाद उसके थाने में ही उसके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई थी।

लक्ष्मी चौहान गाजियाबाद में लेडी सिंघम के नाम से जानी जाती थी। अकसर मीडिया में लक्ष्मी के कारनामों की खबरें छपती थी। लेकिन जब जब उसके खिलाफ ही उसके थाने में रिपोर्ट लिखी गई तो लेडी सिंघम पुलिस अफसर लक्ष्मी चौहान फरार लक्ष्मी हो चुकी थी। असल में गाजियाबाद के लिंक रोड थाना के प्रभारी थीं। इसी दौरान उसने एटीएम लुटेरों के गिरोह का खुलासा करते हुए डेढ़ करोड़ की रकम बरामद की थी।

लेकिन लक्ष्मी ने पूरी रकम पुलिस अफसरों को नहीं बताई और 70 लाख रुपये गबन कर लिए। इसमें लक्ष्मी के साथ ही उसके सहयोगी पुलिस कर्मी भी शामिल थे। जब इस मामले में पुलिस अफसरों ने सख्ती से पूछताछ की तो मामला सबके सामने आया। लेकिन तब तक लक्ष्मी गायब थी। इसके बाद लक्ष्मी के घर पर पुलिस ने दबिश दी और वहां पर पैसों से भरा बैग बरामद किया। लक्ष्मी पिछले एक महीने से ज्यादा समय से गायब थी। उसने कोर्ट में अर्जी भी दाखिल की थी। लेकिन कोर्ट ने उसे अग्रिम जमानत नहीं दी। वहीं योगी सरकार ने लक्ष्मी को निलंबित कर दिया था। जिसके बाद उसकी मुश्किलें बढ़ गई थी।

माना जा रहा है कि लक्ष्मी पर बड़े पुलिस अफसरों का हाथ है। लिहाजा वह पकड़ में नहीं आ रही थी। लेकिन योगी सरकार की सख्ती के बाद उस पर दबाव बन गया था। लिहाजा कोर्ट में सरेंडर किया है। माना जा रहा है कि इसके लिए पुलिस अफसरों ने लक्ष्मी का साथ दिया है। ताकि सेफ तरीके से सरेंडर किया जा सके। प्रदेश की योगी सरकार ने लक्ष्मी और उसकी टीम पर 25 हजार रुपये का इनाम रखा गया था, जिसके बाद उसमें मेरठ की अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया है।
 

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