जानें क्यों जनमत संग्रह बयान पर ममता ने लिया यू-टर्न

By Team MyNation  |  First Published Dec 21, 2019, 8:31 AM IST

गुरुवार को ही ममता बनर्जी ने कहा था कि एनआरसी और नागरिकता संशोधन कानून के लिए संयुक्त राष्ट्र की देखरेख में जनमत संग्रह कराना चाहिए। हालांकि इसके बाद उनकी तीखी आलोचना होने लगी थी। भाजपा के साथ ही विपक्षी दल भी उन्हें घेरने लगे थे। वहीं भाजपा ने कहा कि पश्चिम बंगाल में ममता सरकार के खिलाफ जनमत होना चाहिए। 

कोलकाता। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र संघ के जनमत संग्रह पर दिए बयान के बाद आलोचनाओं से घिरी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि भाजपा उनकी छवि को खराब करने की कोशिश कर रही है। ममता ने कहा कि  देश के कुछ हिस्‍सों में हो रहे हिंसात्‍मक विरोध प्रदर्शन के बीच पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि उन्होंने ऑपिनियन पोल की बात कही थी। लेकिन भाजपा ने फर्जी वीडियो बनाकर उनकी छवि खराब करने की कोशिश की है। हालांकि ममता के बयान के बाद भाजपा ने उनके कई साल पहले एनआरसी पर दिए गए बयान का वीडियो जारी कर घेरा। जिसके बाद ममता बनर्जी बैकफुट पर आ गई।

गुरुवार को ही ममता बनर्जी ने कहा था कि एनआरसी और नागरिकता संशोधन कानून के लिए संयुक्त राष्ट्र की देखरेख में जनमत संग्रह कराना चाहिए। हालांकि इसके बाद उनकी तीखी आलोचना होने लगी थी। भाजपा के साथ ही विपक्षी दल भी उन्हें घेरने लगे थे। वहीं भाजपा ने कहा कि पश्चिम बंगाल में ममता सरकार के खिलाफ जनमत होना चाहिए। लिहाजा ममता बनर्जी ने चारों ओर से हो रही आलोचनाओं के बाद यू टर्न लिया है। ममता ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सीएए और एनआरसी को वापस लेने की मांग की है।

असल में ममता के इस बयान के बाद भाजपा ने सोशल मीडिया में वीडियो और पुरानी खबरों को जारी किया था, जिसमें कुछ साल पहले ममता राज्य में एनआरसी को लागू करने की बात कह रही हैं। असल में जब ममता बनर्जी राज्य में विपक्ष में थी तो उन्होंने राज्य की वामदल सरकार पर आरोप लगाया था कि वह बांग्लादेशी के घुसपैठियों का समर्थन कर रही हैं और जिसके कारण राज्य के हालत खराब हो रहे हैं। लिहाजा एनआरसी को राज्य में लागू किया जाए। लेकिन अब ममता बनर्जी ही इसका विरोध कर रही हैं। असल में ममता बनर्जी ने साफ कर दिया है कि वह राज्य में एनआरसी और नागरिकता संशोधन कानून लागू नहीं करेगी।

टीएमसी ने इसका लोकसभा और राज्यसभा में विरोध किया था। लेकिन आज ममता बनर्जी ने सफाई देते हुए कहा कि मानवाधिकार आयोग और संयुक्‍त राष्‍ट्र निष्‍पक्ष संस्‍थान हैं और इनकी देखरेख में ऑपिनियन पोल होने चाहिए। उधर भाजपा ने कहा कि पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान से धार्मिक आधार पर प्रताड़ित किए गए लोगों को देश की नागरिकता मिलनी चाहिए और वह घुसपैठी नहीं हैं। 

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