पाकिस्तान में हिंदू अल्पसंख्यकों पर रोज अत्याचार होता है। नाबालिक हिंदू लड़कियों का अपहरण कर उनका धर्मांतरण कराया जाता है। यही नहीं बलात्कार और लूट तो हिंदू अल्पसंख्यकों आम बात है। मुस्लिम हिंदूओं की जमीन जायदाद पर जबरन कब्जा करते हैं और उन्हें फिर गुलाम की तरह जिंदगी जीने के लिए मजबूर करते हैं।
नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। केन्द्र सरकार के इस कानून के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले छह धर्म के लोगों को भारत में आसानी से नागरिकता मिल सकेगी। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के लिए रहना किसी मौत से कम नहीं है। क्योंकि वहां पर गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों पर इस तरह से जुल्म ढाया जाता है कि रूह तक कांप जाए। अगर साफ शब्दों में कहें तो पाकिस्तान गैर मुस्लिम अल्पसंख्यक खासतौर से हिंदूओं के लिए किसी नरक से कम नहीं है। लिहाजा पाकिस्तान से ये शरणार्थी अपनी जान बचानकर भारत आते हैं यहीं के होकर रह जाते हैं।
पाकिस्तान में हिंदू अल्पसंख्यकों पर रोज अत्याचार होता है। नाबालिक हिंदू लड़कियों का अपहरण कर उनका धर्मांतरण कराया जाता है। यही नहीं बलात्कार और लूट तो हिंदू अल्पसंख्यकों आम बात है। मुस्लिम हिंदूओं की जमीन जायदाद पर जबरन कब्जा करते हैं और उन्हें फिर गुलाम की तरह जिंदगी जीने के लिए मजबूर करते हैं। हिंदूओं पर होने वाले जुल्म पर वहां की पुलिस और सरकार भी खामोश रहती है। यहां तक कोर्ट भी बहुसंख्यक मुस्लिमों के पक्ष में फैसला सुनाते हैं या फिर उन्हें इस कदर मजबूर कर दिया जाता है कि वह अपनी शिकायतों को वापस ले लें। पाकिस्तान में होने वाले जुल्म की कहानी छह दिसंबर को परिवार समेत पाकिस्तान में मछियारी (हैदराबाद) से भारत आए मंगलदास ने बताते हैं।
वह कहते हैं कि वह मर जाएंगे, लेकिन कभी वापस पाकिस्तान नहीं जाएंगे। मंगलदास कहते हैं कि वहां उन्होंने जिल्लतभरी जिंदगी और असहनीय धार्मिक उत्पीड़न झेला। आज भी पाकिस्तान में जुल्म से उनकी रूह कांप जाती है। अब वह दोबारा उस नर्क में लौटना नहीं चाहते। पिछले दिनों ही पाकिस्तान से भाग कर आए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की पार्टी के विधायक बलवीर सिंह ने कहा कि वहां पर इमरान खान की सरकार आने के बाद अल्पसंख्यक खासतौर से हिंदू और सिखों पर जुल्म बढ़ गए हैं।
अल्पसंख्यक के मायने गुलाम है पाकिस्तान में
पाकिस्तान में अल्पसंख्यक का मतलब गुलाम होता है। हालांकि जब देश का विभाजन हुआ था उस वक्त दोनों देशों के बीच एक समझौता हुआ था कि दोनों देशों में रहने वाले अल्पसंख्यकों की रक्षा वहां की सरकार करेगी। लेकिन पाकिस्तान के मुस्लिम राष्ट्र बन जाने के बाद वहां पर अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बढ़ने शुरू हो गए। पाकिस्तान में हिंदूओं हिंदू इमरजेंसी एड एंड रिलीफ टीम के डॉ. शिल्पी तिवारी ने बताया कि पिछले कुछ सालों में पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों का धार्मिक सामाजिक-शोषण बहुत बढ़ा है। महिलाओं पर रेप और यौन उत्पीड़न की घटनाएं आम हैं। हिंदू मजदूरों को बधुआ बनाकर शोषण किया जाता है। कट्टरपंथियों की वजह से ग्रामीण इलाकों की हालत तो बहुत ही खराब है।
गंगाराम बताते हैं कि पाकिस्तान में हिंदू से गुंडा टैक्स वसूला जाता है। बहू-बेटियों का घर के बाहर सुरक्षित और आजादी से घूमना भी मुश्किल है। वहीं एक दूसरे शरणार्थी धर्मवीर सोलंकी के मुताबिक, "पाकिस्तान में हिंदू परिवारों को आए दिन प्रताड़ित किया जाता है। हमारे बच्चे पढ़ नहीं सकते थे। पाकिस्तान के स्कूलों में हिंदूओं को इस्लामी शिक्षा दी जाती है। गंगाराम पिछले छह सालों में पाकिस्तान से करीब सात हजार परिवारों को पाकिस्तान से निकाल चुके। ये परिवार धार्मिक वीजा पर भारत आते हैं और यहीं बस जाते हैं। शरणार्थी परिवार राजस्थान के कई जिलों, दिल्ली, फरीदाबाद, हरिद्वार, इंदौर और छत्तीसगढ़ के इलाकों में रह रहे हैं। गंगाराम के मुताबिक विश्व हिंदू परिषद से जुड़े कुछ संगठन शरणार्थियों के लिए उनकी मदद करते हैं। विहिप के कुछ संगठनों की वजह से अबतक कई हिंदू शरणार्थियों को फास्ट ट्रैक अपील के जरिए नागरिकता भी दी जा चुकी है।
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