हरेश ठाकुर बताते हैं कि दो साल में निवेश किया गए पैसे की लागत वसूल कर ली गई है और अब वह ड्रैगन फ्रूट की अपनी स्वदेशी किस्मों से लाखों में कमा रहा है। इसे खेती के बारे में ठाकुर बताते हैं कि 2012 में हरेश उन किसानों में से एक थे, जिन्होंने एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल के साथ वियतनाम की यात्रा की थी, और अजीब-दिखने वाले ड्रैगन फ्रूट के बारे में जाना था।
नई दिल्ली। अन्नदाता चाहे तो जमीन पर कुछ भी उगा सकता है। वहीं रेगिस्तान में जहां तापमान 50 ° सेल्सियस हो वहां पर भी कच्छ रहने वाले किसान हरेश ठाकुर 150 एकड़ में खेती कर रहे हैं। यहां हरेश ठाकुर ड्रैगन फ्रूट, आम, अनार और सैकड़ों सब्जियों को उगा रहे हैं और हर लाखों रुपये कमा रहे हैं।
हरेश ठाकुर बताते हैं कि दो साल में निवेश किया गए पैसे की लागत वसूल कर ली गई है और अब वह ड्रैगन फ्रूट की अपनी स्वदेशी किस्मों से लाखों में कमा रहा है। इसे खेती के बारे में ठाकुर बताते हैं कि 2012 में हरेश उन किसानों में से एक थे, जिन्होंने एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल के साथ वियतनाम की यात्रा की थी, और अजीब-दिखने वाले ड्रैगन फ्रूट के बारे में जाना था। इसके बात उन्होंने भारत आकर इसकी खेती करने की सोची। लिहाजा गुजरात के कच्छ के रेगिस्तान में एक एकड़ भूमि में इसकी खेती की।
इस खेत का मालिकाना हक तीसरी पीढ़ी के किसान हरेश ठाकर के पास है, जिन्होंने स्कूल से पास होने के बाद खेती शुरू की थी और वह आशापुरा एग्रो फ्रूट्स नाम से वनस्पति बेचते हैं, जो कि एक व्यवसाय है जिसे उन्होंने अपने दिवंगत भाई जेठालाल के साथ मिलकर शुरू किया था। ठाकुर का कहना है कि वह लगभग 14 साल के थे तो पहली बार अपने पिता को पानी देने जैसी बुनियादी गतिविधियों में मदद करना शुरू किया, और हर दिन, मैं स्कूल के खत्म होने का इंतजार करता था ताकि मैं अपने पसंदीदा पेड़ों की प्रगति की जांच करने के लिए खेतों में जा सकूं। स्कूली शिक्षा के बाद, मैंने अपने पिता के साथ जुड़कर खुद से वादा किया कि एक दिन मैं गुजरात के सूखे इलाकों में एक खेती करूंगा।
हरेश का कहना है कि जलवायु परिस्थितियों में बदलाव नहीं किया जा सकता है, लेकिन फसलों को तकनीक और प्रौद्योगिकियों के जरिए नया बनाया जा सकता है। वह कहते हैं कि मैं हमेशा अन्य किसानों के साथ ज्ञान का आदान-प्रदान करने के लिए उत्सुक रहता हूं और खुद को सरकार की सभी कृषि योजनाओं से अवगत कराया। 53 वर्षीय हरेश कहते हैं कि आम के पेड़ को, जो उष्णकटिबंधीय फल हैं और प्रति दिन 100 लीटर पानी की आवश्यकता होती है। वह कहते हैं कि वह वियतनाम आधारित कृषि तकनीक का उपयोग करते हैं जो ड्रैगन फ्रूट और आमों के लिए उच्च घनत्व वाले फलदार वृक्षों को उगाने के लिए फायदेमंद है।
वह ड्रैगन फ्रूट की खूबी बताते हुए कहते हैं कि ड्रैगन फ्रूट एक उष्णकटिबंधीय पौधा है जिसमें कैलोरी सामग्री कम होती है और ये एंटीऑक्सिडेंट होते हैं। इसे बढ़ने के लिए ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती है और यह शुष्क क्षेत्रों में पनप सकता है। हरेश बताते हैं कि वह 50 एकड़ में ड्रैगन फल उगा रहे हैं। हरेश ने बताया कि प्रति एकड़ 98 पोल लगाए हैं और प्रत्येक पोल एक साल में चार ड्रैगन फ्रूट प्लांट देता है, "पहले साल में यह प्रति पोल पर लगभग पांच किलो फल देता है और पांचवें साल में यह 20 किलो तक जा सकता है।
उनका कहना है कि ड्रैगन फल को देसी नाम 'कमलम' (कमल के लिए संस्कृत शब्द) दिया है, जो उन्हें 100 रुपये प्रति किलो मिलता है, "ड्रैगन फल का आकार कमल के समान है, इसलिए नाम कमलम है। उनका कहना है कि ड्रैगन फ्रूट्स उगाने के लिए चार लाख का निवेश किया था और दो साल के भीतर लागत वसूल हो गई थी। अब वह 6-10 लाख रुपये प्रति चक्र कमा रहे हैं। हरेश को देखते हुए अब कच्छ जिले में कई किसानों ने इसकी खेती करनी शुरू कर दी है।