उप्र सरकार को इलाहाबाद हाई कोर्ट की फटकार

Published : Sep 26, 2018, 10:23 AM IST
उप्र सरकार को इलाहाबाद हाई कोर्ट की फटकार

सार

शिक्षक भर्ती परीक्षा में उत्तर पुस्तिका बदलने के मामले पर सुनवाई करते हुए, जांच की प्रगति रिपोर्ट तलब की है। साथ ही यह भी स्पष्ट किया है कि प्रगति रिपोर्ट न आने पर इस मामले में बनाई गई जांच कमेटी के चेयरमैन को अदालत के समक्ष हाजिर होना होगा।

लखनऊ: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने सहायक शिक्षकों के भर्ती मामले में अभ्यर्थियों की उत्तर पुस्तिकायें बदलने के दोषियों का अब तक पता न चलने पर, राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई है।

अदालत ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए, जांच की प्रगति रिपोर्ट तलब की है। साथ ही यह भी स्पष्ट किया है कि प्रगति रिपोर्ट न आने पर इस मामले में बनाई गई जांच कमेटी के चेयरमैन को अदालत के समक्ष हाजिर होना होगा।

इस मामले में महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने अदालत में पूर्व में आश्वासन दिया था कि वह सुनिश्चित करेंगे कि दोषियों पर शीघ्र ही सख्त कार्रवाई होगी पर तीन हफ्ते में जांच की धीमी प्रगति ने अदालत को नाराज कर दिया।

न्यायमूर्ति इरशाद अली की पीठ ने सोनिका देवी की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। याचिका पर पिछली सुनवाई के दौरान अदालत ने पाया था कि याची की उत्तर पुस्तिका के पहले पेज पर अंकित बार कोड अंदर के पेजों से मेल नहीं खा रहा है। अदालत ने इस पर हैरानी जताते हुए कहा भी था कि याची की उत्तर पुस्तिका बदल दी गई है। 

इस पर महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने याची के अलावा अन्य अभ्यर्थियों की भी आंसर शीट्स में बदलाव की बात स्वीकारते हुए, आवश्यक जांच करने व दोषी व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का भरोसा अदालत को दिया था। अदालत ने महाधिवक्ता के आश्वासन पर जांच में हुई प्रगति व दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का ब्यौरा तलब किया था।

मंगलवार को राज्य सरकार की ओर से हलफनामा दाखिल कर बताया गया कि एक्जामिनेशन रेग्युलेटरी अथॉरिटी सचिव सुत्ता सिंह को निलंबित कर दिया गया है। इस मामले की जांच के लिए आठ सितम्बर को तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया गया है।

अदालत ने अभ्यर्थियों की उत्तर पुस्तिका बदलने वालों पर कार्रवाई की जानकारी मांगी तो सरकार की ओर से पेश अधिवक्ताओं के पास कोई जवाब नहीं था। इस पर अदालत ने फटकार लगाते हुए कहा कि यह हैरानी की बात है कि लगभग तीन सप्ताह बीत जाने के बावजूद उत्तर पुस्तिकाओं के साथ छेड़छाड़ करने वालों का पता नहीं चल सका है।

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