मध्य प्रदेश के 35 वर्षीय एक क्रिमिनल ने जेल में व्यावसायिक कौशल के रूप में प्रिंटिंग का काम सीखा। रिहाई के बाद वह नकली नोट छापने लगा। इसका खुलासा तब हुआ जब पुलिस ने उसे रंगे हाथ ऐसा फ्रॉड करते हुए पकड़ा।
भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार ने जेल में जिस कैदी को प्रशिक्षित करके बाहर की दुनिया में अपनी नए सिरे से जिंदगी करने के लिए भेजा था, वास्तव में उसने उस कौशल का उपयोग ऐसे अपराधिक कृत्य के लिए करना शुरू कर दिया कि पुलिस वाले भी भौचक रह गए।
घर से 200 रुपए के 95 नकली नोट बरामद
इसका खुलासा तब हुआ जब दो दिन पहले विदिशा पुलिस ने उसे पकड़ा। पूछताछ में पता चला कि जेल में सीखे कौशल विकास के तहत प्रिंटिग आफसेट के जरिए वह बाहर नकली नोटों की छपाई कर रहा था और उसे बाजार में खपा रहा था। 35 साल के इस अपराधी के पास से पुलिस ने 200 रुपए के 95 नकली नोट भी बरामद किए हैं।
विदिशा जेल में अपराधी को मिली थी व्यावसायिक ट्रेनिंग
सिरोंज पुलिस उपमंडल अधिकारी उमेश तिवारी ने बताया कि यह घटना चौंकाने वाली थी। उन्होंने बताया कि भुपेंद्र सिंह धकत विदिशा जेल से कुछ महीने पहले जमानत पर बाहर आया है। उसने जेल में कौशल विकास व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत आफसेट प्रिंटिंग का प्रशिक्षण प्राप्त किया था।
बाहर आने के बाद घर पर ही नकली नोट छापने लगा क्रिमिनल
रिहा होने के बाद भूपेंद्र सिंह घर पर ही नकली नोट छापने लगा। उसके घर से एक रंगीन प्रिंटर, 6 बोतल स्याही और नकली नोट बनाने में इस्तेमाल होने वाला कागज बरामद किया गया है। वह नकली नोटों का कारोबार काफी दिनों से कर रहा था। उसने पुलिस के सामने स्वीकार किया है कि वह नकली नोट छापकर स्थानीय बाजार में खपाता था। भूपेंद्र सिंह धकत पर हत्या समेत करीब 11 क्रिमिनल केसेज दर्ज हैं। वह कई बार जेल जा चुका है।
जिला बदर होने के बावजूद घर में रहकर कर रहा था नकली नोटों की खपत
विदिशा जेल अधीक्षक प्रियदर्शन श्रीवास्तव ने बताया कि कैदियों को रिहाई के बाद आजीविका चलाने में मदद के लिए ऑफ-सेट प्रिंटिंग और स्क्रीन प्रिंटिंग का प्रशिक्षण दिया जाता है। सूत्रों के अनुसार पिछले साल अक्टूबर 2023 में उसे विदिशा, राजगढ़, रायसेन, भोपाल और अशोक नगर जिलों की सीमाओं से एक साल के लिए जिला बदर कर दिया गया था, लेकिन वह यहीं रहकर नकली नोटों की छपाई करके बाजार में खपा रहा था।
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