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महाराष्ट्र विकास अघाड़ी सरकार ने खेला दांव, कांग्रेस के बागी को उतार सकती है मैदान में

Published : Feb 21, 2020, 01:32 PM IST
महाराष्ट्र विकास अघाड़ी सरकार ने खेला दांव, कांग्रेस के बागी को उतार सकती है मैदान में

सार

 महाराष्ट्र में राज्यसभा की सात सीटें खाली हो रही हैं।  विधानसभा में विधायकों की संख्या को देखते हुए भाजपा को तीन राज्यसभा सीटें मिल सकती हैं, जबकि राज्यसभा में कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना को एक-एक सीट मिलेगी। वहीं असल लड़ाई अब चौथे सीटे को लिए होनी तय है।

मुंबई। महाराष्ट्र में राज्यसभा चुनाव के लिए अभी से शह और मात का खेल शुरू हो गया है। राज्य की विकास अघाड़ी सरकार राज्यसभा की चौथी सीट पर कांग्रेस के बागी कृपाशंकर सिंह पर दांव खेल सकती हैं। जबकि राज्य में तीन सीटें भाजपा और तीन सीटें विकास अघाड़ी सरकार के खाते में जानी तय हैं। वहीं चौथी सीट के लिए कृपाशंकर सिंह को उतार कर उद्धव ठाकरे सरकार उत्तर भारतीयों को लुभावने की कवायद कर सकती हैं।

कृपाशंकर सिंह महाराष्ट्र में उत्तर भारतीयों का चेहरा माने जाते हैं। विधानसभा चुनाव से पहले वह कांग्रेस से नाराज चल रहे थे और उन्होंने कांग्रेस के खिलाफ अभियान भी चलाया था। हालांकि वह भाजपा में शामिल नहीं हुए। सिंह की हर दल में मजबूत पकड़ मानी जाती है। फिलहाल कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री कृपाशंकर सिंह पर उद्धव ठाकरे चौथी सीट के लिए दांव खेलने की तैयारी में है। महाराष्ट्र में राज्यसभा की सात सीटें खाली हो रही हैं।

 विधानसभा में विधायकों की संख्या को देखते हु भाजपा को तीन राज्यसभा सीटें मिल सकती हैं, जबकि राज्यसभा में कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना को एक-एक सीट मिलेगी। वहीं असल लड़ाई अब चौथे सीटे को लिए होनी तय है। लिहाजा महाराष्ट्र सरकार विवादों में घिरे कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री कृपाशंकर सिंह को राज्यसभा में भेजने की रणनीति तैयार कर रही है। इसके लिए राकांपा प्रमुख शरद पवार और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने चौथी सीट के लिए कृपाशंकर सिंह के नाम पर मुहर लगाई है। जबकि भाजपा ने उद्योगपति संजय काकड़े को मैदान में उतारा है। काकड़े भाजपा कोटे के कोटे से पहले ही राज्यसभा सदस्य हैं, जिनका कार्यकाल इस महीने के अंत तक समाप्त हो रहा है।

हालांकि कांग्रेस में एक धड़ा कृपाशंकर सिंह को लेकर नाराज है। क्योंकि सिंह ने राज्य विधानसभा चुनावों में हिस्सा नहीं लिया। असल में वह भाजपा में जाना चाह रह थे लेकिन उनकी बात नहीं बनी। हालांकि, ठाकरे और पवार ने तर्क दिया है कि सिंह की उम्मीदवारी उन्हें बीएमसी चुनाव में उत्तर भारतीयों का वोट पाने में मदद करेंगे। हालांकि कृपाशंकर सिंह का विवादों से गहरा नाता है। क्योंकि उनके खिलाफ कई मामले चल रहे हैं।
 

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