मलेशिया को महंगा पड़ा पाकिस्तान का समर्थन करना, कर लिया अरबों रुपये का नुकसान

By Team MyNation  |  First Published Oct 16, 2019, 8:31 AM IST

मलेशिया के पीएम महाथिर मोहम्मद ने कश्मीर के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान का साथ दिया। हालांकि भारत सरकार ने इसकी तीखी प्रतिक्रिया की। लेकिन अब मलेशिया ने पाकिस्तान को समर्थन देकर अपना ही आर्थिक नुकसान करा लिया है। क्योंकि भारत के तेल कारोबारियों ने मलेशिया से तेल का आयात नहीं करने का फैसला किया। इसका सीधा असर मलेशिया की तेल उत्पादक कंपनी और वहां के किसानों पर पड़ेगा। 

नई दिल्ली। मलेशिया के प्रधानमंत्री महाथिर मोहम्मद द्वारा कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान का साथ देना महंगा पड़ गया है। क्योंकि बारत के तेल कारोबारियों ने मलेशिया से तेल का आयात नहीं करने का फैसला किया है। इसके लिए तेल कारोबारियों ने मलेशिया की जगह इंडोनेशिया से तेल का आयात करने का फैसला किया है। जिसके कारण अब मलेशिया को अरबों का नुकसान होना तय है। भारत मलेशिया का सबसे बड़ा पॉम ऑयल का आयात है।

मलेशिया के पीएम महाथिर मोहम्मद ने कश्मीर के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान का साथ दिया। हालांकि भारत सरकार ने इसकी तीखी प्रतिक्रिया की। लेकिन अब मलेशिया ने पाकिस्तान को समर्थन देकर अपना ही आर्थिक नुकसान करा लिया है। क्योंकि भारत के तेल कारोबारियों ने मलेशिया से तेल का आयात नहीं करने का फैसला किया। इसका सीधा असर मलेशिया की तेल उत्पादक कंपनी और वहां के किसानों पर पड़ेगा। क्योंकि भारत मलेशिया से पॉम ऑयल का आयात करने वाला सबसे बड़ा देश है।

जिसके कारण हर अरबो रुपये भारत पॉम ऑयल के आयात के लिए खर्च करता है। लेकिन मलेशिया के पीएम ने एक ही झटके में अरबों का नुकसान कर लिया है। अब कारोबारियों ने मलेशिया के साथ नए करार नहीं करने का फैसला किया है। कारोबारियों का कहना है कि अब वह इंडोनेशिया से तेल का आयात करेंगे। क्योंकि देश सबसे पहले है बाद में कारोबार। हालांकि कारोबारियों का कहना है कि इस फैसले से भारत को कोई नुकसान नहीं होगा बल्कि इससे मलेशिया को ही आर्थिक तौर पर नुकसान होगा।

हालांकि महाथिर मोहम्मद पहले से ही विवादों में हैं। क्योंकि उन्होंने उग्रपंथी विचारों वाले जाकिर नाईक को मलेशिया में शरण दी है। पिछले दिनों उन्होंने कहा था कि भारत ने अभी तक नाईक के प्रत्यर्पण के लिए कोई बातचीत नहीं की है। जबकि भारत सरकार तीन साल पहले इसके लिए मलेशिया की सरकार से बातचीत कर चुकी है। उधर सॉल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन के कार्यकारी निदेशक डॉ. बी.वी मेहता ने कहा, 'हमारे लिए देश पहले आता है और कारोबारी संबंध बाद में।

लिहाजा अब मलेशिया से तेल आयात करना हमारी मजबूरी नहीं है। क्योंकि हमारे पास विकल्प बहुत हैं जबकि मलेशिया के पास विकल्पों की कमी है। बाजार के जानकारों का कहना है कि मलेशिया से तेल का आयात कम करने के खबर से मलेशिया में तेल की कीमतों में करीब तीन फीसदी की गिरावट देखी गई है और अगर सरकार कोई फैसला लेती है तो ये दस फीसदी तक पहुंच सकती है।

click me!