फिलहाल बिहार विधानसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों के महागठबंधन के लिए इसे बड़ा झटका माना जा रहा है और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम ने जदयू के साथ गठबंधन करने फैसला किया है। मांझी महागठबंधन में राजद नेता तेजस्वी यादव द्वारा लगातार उपेक्षित किए जा रहे थे।
पटना। बिहार में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए ने विपक्षी दलों के महागठबंधन को बड़ा झटका दिया है। महागठबंधन का अभी तक हिस्सा रहे जीतन राम मांझी ने राज्य में नीतीश कुमार के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। राज्य में हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा का का 3 सितंबर को राज्य की सत्ताधारी जनता दल यूनाइटेड के साथ गठबंधन होगा। फिलहाल जीतन राम मांझी की पार्टी का अब जदयू में विलय नहीं होगा।
फिलहाल बिहार विधानसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों के महागठबंधन के लिए इसे बड़ा झटका माना जा रहा है और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम ने जदयू के साथ गठबंधन करने फैसला किया है। मांझी महागठबंधन में राजद नेता तेजस्वी यादव द्वारा लगातार उपेक्षित किए जा रहे थे। लिहाजा मांझी लगातार महागठबंधन छोड़ने की धमकी दे रहे थे और महागठबंधन के किसी भी सहयोगी दल ने उन्हें रोकने की कोशिश नही की। मांझी महागठबंधन में समन्वय समिति बनाने की मांग कर रहे थे। लेकिन राजद ने उनकी इस मांग को लगातार दरकिनार किया। फिलहाल जीतन राम मांझी की नीतीश कुमार के साथ जाना तय हो चुका है। हालांकि सीटों के बंटवारे को लेकर अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है।
ये भी तय नहीं है कि मांझी को सीट एनडीए की तरफ से दी जाएगी या फिर जदयू उन्हें अपने कोटे से सीट देगी। हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा गुरुवार को जदयू के साथ गठबंधन का ऐलान करेगी। बताया जा रहा है कि मांझी की जदयू के साथ डील फाइनल हो गई है। फिलहाल इसे मांझी की एक तरीके से घर वापसी माना जा रहा है। अपने पार्टी बनाने के बाद वह एनडीए के साथ मिलकर पिछला चुनाव लड़े थे। असल में 2015 का विधानसभा चुनाव मांझी ने एनडीए के साथ लड़ा था और वह महज एक ही सीट जीत सके थे। लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले वह महागठबंधन में शामिल हो गए थे लेकिन मांझी की पार्टी राज्य में एक भी सीट नहीं जीत सकी।