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आतंकवाद समर्थक मसरत, आसिया और शब्बीर को 30 दिन की न्यायिक हिरासत

Published : Jun 14, 2019, 12:29 PM ISTUpdated : Jun 14, 2019, 02:52 PM IST
आतंकवाद समर्थक मसरत, आसिया और शब्बीर को 30 दिन की न्यायिक हिरासत

सार

टेरर फंडिंग मामले में गिरफ्तार जम्मू कश्मीर के कट्टर अलगाववादी नेताओं मसरत आलम, शब्बीर शाह और आंसिया अंद्राबी को पटियाला हाउस कोर्ट ने 30 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।

नई दिल्ली: इस मामले की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेन्सी यानी एनआईए ने अदालत को बताया कि पूछताछ के दौरान अंद्राबी ने खुलासा किया है कि वह लगातार पाकिस्तानी सेना के संपर्क में थी। 

आसिया अंद्राबी अलगाववादी समूह दुख्तरान-ए-मिल्लत की प्रमुख है। उसने एनआईए को यह भी बताया है कि उसे आईएसआई के जरिये पैसे मिलते थे। 

एनआईए के मुताबिक आसिया पाकिस्तानी सेना में काम करने वाले एक अधिकारी के जरिये आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैय्ब्बा और जमात-उद-दावा के प्रमुख हाफिज सईद के भी संपर्क में थी। पाकिस्तानी सेना का यह अधिकारी आसिया का भतीजा है। इसके अलावे उसके एक और करीबी रिश्तेदार का पाकिस्तानी सेना और उनकी खुफिया विंग आईएसआई के साथ संपर्क है। 

जांच से यह भी पता कि आसिया के कुछ रिस्तेदार जो दुबई और सऊदी अरब में रहते हैं, उन लोगों ने भारत में राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के लिए आसिया को पैसे भी पहुचाए। 

मसरत आलम को एनआईए ने टेरर फंडिंग मामले में गिरफ्तार किया है और इसी सिलसिले में शब्बीर शाह और आंसिया अंद्राबी से एनआईए पूछताछ कर रही है। 

जम्मू-कश्मीर मुस्लिम लीग के सरगना मसरत आलम को तत्कालीन मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद द्वारा पिछले दिनों जेल से आजाद करने के बाद बवाल मच गया था। मसरत पहली बार 2008 मे श्री अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड मामले में सुर्खियों में आया था।  2010 में इसने सरकार के खिलाफ राज्यव्यापी आंदोलन चलाया और सुरक्षा बलों के खिलाफ पत्थरबाजी को युवाओं का मुख्य हथियार बना दिया था, जिसमें 117 लोग मारे गए थे। 

दरअसल रिहाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि मसरत आलम के खिलाफ पब्लिक सेफ्टी एक्ट की जो धाराएं लगाई गई हैं, वे सही नही है। कोर्ट ने सरकार से यह भी कहा था कि यह रिकॉर्ड जल्द से जल्द होनी चाहिए। मसरत आलम को एक रैली के दौरान भारत विरोधी नारे और पाकिस्तानी झंडे लहराने के आरोप में में गिरफ्तार किया गया था। इससे पूर्व जम्मू-कश्मीर की सरकार ने 1 मार्च 2015 को उसे रिहा करने का आदेश दिया था। इस पर काफी बवाल हुआ था। 

मसरत आलम पर देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के 27 मामले लंबित हैं। वर्ष 2098 में अमरनाथ भूमि आंदोलन के दौरान करीब 100 युवक पत्थरबाजी में मारे गए थे। मसरत इस आंदोलन का मास्टरमाइंड था।

आतंकी समर्थकों की पेशी का वीडियो:-
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