मायावती ने उत्तर प्रदेश में होनें वाले विधानसभा उपचुनाव में अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। मायावती ने साफ किया कि वह समाजवादी पार्टी के साथ कोई गठबंधन नहीं करेगी। अखिलेश यादव के लिए ये एक बड़ा झटका था, क्योंकि अखिलेश ने मायावती से चुनावी गठबंधन करने की पहल की थी।
समाजवादी पार्टी के संरक्षक और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह अपने चरखा दांव के लिए जाने जाते हैं। राजनैतिक तौर पर इस दांव से उन्होंने अपने कई राजनैतिक विरोधियों को मात दी है। लेकिन इस बार मुलायम का चरखा दांव बीएसपी प्रमुख मायावती ने ही चल दिया और इस दांव में मुलायम के बेटे अखिलेश यादव पूरी तरह से चित हो गए।
मायावती ने जो दांव चला है, उस पर अखिलेश मायावती के खिलाफ खुलकर नहीं बोल सकेंगे। ये इस बात से जाहिर भी हो गया है कि मायावती के गठबंधन तोड़ने के बाद अखिलेश ने मायावती के खिलाफ एक भी शब्द नहीं बोला, जबकि मायावती ने अखिलेश को कठघरे में खड़ा करने में कोई कोताही नहीं बरती।
मंगलवार को ही मायावती ने उत्तर प्रदेश में होनें वाले विधानसभा उपचुनाव में अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। मायावती ने साफ किया कि वह समाजवादी पार्टी के साथ कोई गठबंधन नहीं करेगी। अखिलेश यादव के लिए ये एक बड़ा झटका था, क्योंकि अखिलेश ने मायावती से चुनावी गठबंधन करने की पहल की थी। हालांकि मुलायम सिंह यादव इसके खिलाफ थे।
लेकिन मायावती के इस बड़े सियासी दांव से अखिलेश यादव पूरी तरह से चित हो गए हैं। मायावती के इस चरखा दांव के बाद एसपी अब अकेले चलने के लिए मजबूर हैं। क्योंकि लोकसभा चुनाव में अखिलेश की पूरी प्रतिष्ठा दांव लगी थी। अखिलेश को लगता था कि अगर बीएसपी ने केन्द्र की राजनीति की तो वह राज्य की राजनीति कर सकेंगे।
लिहाजा बीएसपी के अलग होने से अखिलेश की मुश्किलें चौतरफा बढ़ेंगी। अब अखिलेश को बीजेपी के साथ ही बीएसपी के खिलाफ चुनावी लड़ाई लड़नी होगी और खुलेतौर पर बीएसपी के खिलाफ कुछ ज्यादा नहीं बोल सकेंगे। क्योंकि लोकसभा चुनाव दोनों दलों ने मिलकर लड़ा है। अगर देखें तो अखिलेश यादव मायावती की खिलाफत नहीं कर सकेंगे।
जबकि मायावती अखिलेश को कोसने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी। यानी मायावती के इस दांव से अखिलेश चारों ओर से घिर गए हैं। विधानसभा उपचुनाव में हाथी व साइकिल अब एक साथ नहीं बल्कि एक दूसरे के खिलाफ होंगे।