स्पेस में भारतीय मिसाइल: सुपर पॉवर हैरान, पाकिस्तान और कांग्रेस परीक्षण से कंफ्यूज?

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तीन अन्य देश अमेरिका, रूस और चीन भारत के इस परीक्षण से आश्चर्यचकित हैं। रूस भले ठंडे बस्ते में हो लेकिन अमेरिका को भनक भी नहीं लगी और भारत ने सफल परीक्षण कर लिया। वहीं 2007 में यूपीए के पहले कार्यकाल के दौरान इस क्षमता का परीक्षण करने वाला चीन भारत के परीक्षण पर अपनी प्रतिक्रिया में स्पष्ट नहीं है।

Mission Shakti: while world powers studying Indian space Missile test Pakistan and Congress mud-sling

एंटी सैटेलाइट मिसाइल का सफल परीक्षण कर जहां भारत स्पेस वॉरफेयर की क्षमता रखने वाला दुनिया का चौथा देश बन चुका है वहीं परीक्षण करने के समय को लेकर राजनीति शुरू हो गई है। 

कांग्रेस पार्टी के स्टार प्रचारक इस सफल परीक्षण का श्रेय देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को दे रहे हैं क्योंकि इस क्षमता को दुनिया के सामने प्रदर्शित करने का फैसला भले पहले प्रधानमंत्री नेहरू ने नहीं लिया लेकिन उन्होंने देश में उस संस्था की नींव रखी जिसने आजादी के 72 साल बाद भारत को इस मुकाम पर पहुंचाने का काम किया है। 

वहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तीन अन्य देश अमेरिका, रूस और चीन भारत के इस परीक्षण से आश्चर्यचकित हैं। रूस भले ठंडे बस्ते में हो लेकिन अमेरिका को भनक भी नहीं लगी और भारत ने सफल परीक्षण कर लिया। वहीं 2007 में यूपीए के पहले कार्यकाल के दौरान इस क्षमता का परीक्षण करने वाला चीन भारत के परीक्षण पर अपनी प्रतिक्रिया में स्पष्ट नहीं है।

भारत के पड़ोस में एक छोटा देश और आतंकवाद को पनाह देने के दुनियाभर में कुख्यात पाकिस्तान भारत की इस उपलब्धि से परेशान हो चुका है। भारत की इस नई प्राप्त क्षमता की काट के लिए उन देशों की तरफ देख रहा है जिनके पास यह क्षमता कई दशक से मौजूद है। 

बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऐलान के बाद कई घंटों तक अमेरिका से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई। कई घंटों तक सोच-विचार के बाद अमेरिका के कार्यकारी रक्षा मंत्री पैट्रिक शनाहन ने दुनियाभर के देशों को चेतावनी जारी करते हुए कहा कि कोई अन्य देश अंतरिक्ष में भारत जैसे एंटी सैटेलाइट मिसाइल परीक्षण से बचे।

अमेरिका ने दुनिया को चेताया है कि ऐसे परीक्षण से अंतरिक्ष में घातक मलबा एकत्र होने की संभावना रहती है। वहीं भारतीय परीक्षण पर अमेरिका ने कहा कि वह मामले को समझने की कवायद में लगा हुआ है।

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अमेरिका ने 1959 में इस क्षमता को हासिल करने के लिए पहला परीक्षण किया था। यह समय अमेरिका और रूस के बीच द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद दशकों तक चले शीत युद्ध के चरम का था। इस दौर में अमेरिका और रूस के बीच हथियारों को बटोरने की दौड़ मची थी और अपनी-अपनी मिसाइल व्यवस्था को पुख्ता करने की कवायद जोर पर थी। इस दौरान अमेरिका परीक्षण के ठीक एक साल के अंदर रूस ने भी 1960 में इस छमता का परीक्षण करते हुए स्पेस में मिसाइल हमला करने की क्षमता प्राप्त कर ली थी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिफेंस रीसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) को इस बड़ी उपलब्धि के लिए बधाई देते हुए श्रेय का हकदार बताया। हालांकि कांग्रेस पार्टी का दावा है कि डीआरडीओ की स्थापना देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने की थी लिहाजा श्रेय के असली हकदार वह हैं। पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू की पीढ़ी की मौजूदा कांग्रेस प्रचारक प्रियंका वाड्रा गांधी ने इस परीक्षण पर पहली प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि देश में सूई से लेकर मिसाइल तक निर्माण का काम कांग्रेस पार्टी के कार्यकाल में हुआ है। 

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