भारत के अंतरिक्ष में मारक क्षमता हासिल करने से पाकिस्तान घबरा गया है। मिशन शक्ति के सफल परीक्षण के ऐलान के बाद पाकिस्तान की ओर से कहा गया है कि अंतरिक्ष में सैन्य होड़ के खिलाफ है। 

ए-सैट क्षमता हासिल करने के बाद भारत ऐसी ताकत से लैस चार देशों के एलीट क्लब में आ गया है। अभी तक अमेरिका, रूस और चीन के पास ही यह उपलब्धि है। 

पाकिस्तान के विदेश विभाग के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल ने एक बयान में कहा, ‘अंतरिक्ष मानवता की सामूहिक विरासत है। प्रत्येक देश की यह जिम्मेदारी है कि वह अंतरिक्ष में किसी तरह की कार्रवाई से बचे। अंतरिक्ष का सैन्यीकरण नहीं किया जाना चाहिए।’

उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान अंतरिक्ष में हथियारों की होड़ रोकने के संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव का सबसे मुखर समर्थक रहा है।’ उन्होंने भारत की आज की उपलब्धि का हवाला देते हुए कहा, ‘इस तरह की क्षमता का प्रदर्शन करना किसी भी लिहाज से सही नहीं ठहराया जा सकता।’

फैसल ने किसी भी देश का नाम लिए बगैर कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि जिन देशों ने पूर्व में इस तरह की क्षमता हासिल करने की कोशिशों का पुरजोर विरोध किया है वे अंतरिक्ष में बढ़ते सैन्य खतरे को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था बनाने की दिशा में काम करेंगे।’

इधर, नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि भारत का अंतरिक्ष में हथियारों की होड़ शुरू करने का कोई इरादा नहीं है। उधर,  चीन ने भारत के उपग्रह रोधी मिसाइल परीक्षण पर सतर्कतापूर्वक प्रतिक्रिया जताते हुए उम्मीद जताई कि सभी देश बाहरी अंतरिक्ष में शांति बनाए रखेंगे।

पीएम मोदी ने बुधवार को घोषणा की कि भारत ने अंतरिक्ष में एंटी सैटेलाइट मिसाइल से एक लाइव सैटेलाइट को मार गिराते हुए आज अपना नाम अंतरिक्ष महाशक्ति के तौर पर दर्ज करा दिया और भारत ऐसी क्षमता हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया। 

इस परीक्षण के बाद भारत दुश्मन के उपग्रहों को मार गिराने की रणनीतिक क्षमता हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया। इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन के पास यह क्षमता थी।

चीन के विदेश मंत्रालय ने भारत द्वारा उपग्रह रोधी मिसाइल के सफल परीक्षण को लेकर कहा, ‘हमने खबरें देखी हैं और उम्मीद करते हैं कि प्रत्येक देश बाहरी अंतरिक्ष में शांति बनाए रखेंगे।’ चीन ने ऐसा एक परीक्षण जनवरी 2007 में किया था जब उसके उपग्रह रोधी मिसाइल ने एक निष्क्रिय मौसम उपग्रह को नष्ट कर दिया था।

मोदी ने कहा कि हमने जो नई क्षमता हासिल की है, यह किसी के विरूद्ध नहीं था। उपग्रह 300 किमी की ऊंचाई पर एक पूर्व निर्धारित लक्ष्य था। मोदी ने कहा कि मिशन शक्ति का उद्देश्य भारत की समग्र सुरक्षा को मजबूती प्रदान करना था और इस मिशन का नेतृत्व डीआरडीओ ने किया। 

विदेश मंत्रालय ने दिल्ली में जारी एक बयान में कहा कि भारत का बाहरी अंतरिक्ष में हथियारों की किसी होड़ में शामिल होने का कोई इरादा नहीं है।