बच्चों की बिक्री में फंसा मदर टेरेसा का ‘निर्मल हृदय’, ‘शिशु निकेतन’ से भी 22 बच्चों को हटाया गया

 |  First Published Jul 7, 2018, 1:45 PM IST

मिशनरीज ऑफ चैरिटी करती है दोनों संस्थाओं का संचालन, चार बच्चों को बेचने के आरोप में हुई है संस्था की कर्मचारी और नन की गिरफ्तारी, बड़ा रैकेट होने का संदेह
 

रांची में ‘निर्मल हृदय’ आश्रम से बच्चों की बिक्री का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। यहां से चार बच्चों को कथित तौर पर बेचे जाने के आरोप में एक महिला कर्मचारी और एक नन की गिरफ्तारी के बाद जिले की बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) ने शनिवार को ‘शिशु निकेतन’ से 22 बच्चों को दूसरी जगह भेज दिया। इससे पहले, निर्मल हृदय से 13 लड़कियों को शिफ्ट किया गया। संस्था द्वारा अविवाहित मां बनने वाली लड़कियों को आश्रय प्रदान किया जाता है। फिलहाल संस्था की इस इकाई को सील कर दिया गया है। ‘निर्मल हृदय’ और ‘शिशु निकेतन’, दोनों का संचालन सेंट मदर टेरेसा द्वारा स्थापित मिशनरीज ऑफ चैरिटी करती है।
 सीडब्ल्यूसी की रांची इकाई की चेयरपर्सन रूपा वर्मा की ओर से निर्मल हृदय की कर्मचारी अनिमा इंदवार के खिलाफ शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद यह कार्रवाई हुई है। उस पर यूपी के एक जोड़े को कथित तौर पर एक नवजात को बेचने का आरोप है। वर्मा का दावा है कि निर्मल हृदय से कुछ समय से बच्चा बेचने का रैकेट चल रहा है।
जांच का ब्यौरा देते हुए कोटवली पुलिस स्टेशन के इंचार्ज एसएन मंडल ने बताया कि शनिवार को कोई नई गिरफ्तारी नहीं हुई है। अभी तक निर्मल हृदय की अनिमा इंदवार और सिस्टर कंसालिया बाखला को गिरफ्तार किया गया है। आगे की जांच पूरी होने के बाद मामले की पूरी जानकारी साझा की जाएगी। इस बीच, मिशनरीज ऑफ चैरिटी के कोलकाता स्थित मुख्यालय से जारी बयान के मुताबिक, हकीकत का पता लगाने के लिए उन्होंने जरूरी कदम उठाए हैं।
फाउंडेशन की प्रवक्ता सुनीता कुमार ने कहा, ‘‘हम इस खबर से हैरान हैं। मिशनरीज ऑफ चैरिटी, नन और हमारी संस्थापक के मूल्यों एवं नैतिकता के खिलाफ है। हम पूरी गंभीरता के साथ झारखंड के कर्मचारियो पर लगे आरोपों को देख रहे हैं।’’ उन्होंने यह भी साफ किया कि मिशनरीज ऑफ चैरिटी तीन साल पहले ही बच्चों को गोद देना बंद कर चुकी है। संस्था ने कभी भी बच्चों को गोद लेने वाले दंपतियों से पैसा नहीं लिया। संस्था के सभी कर्मचारी इस खबर से हैरान हैं, जो कुछ भी हुआ उस पर भरोसा करना मुश्किल है।

 कैसे खुला मामला

सीडब्ल्यूसी के मुताबिक, उनसे यूपी के सोनभद्र जिले के एक दंपति ने संपर्क साधा था। उनका दावा था कि निर्मल हृदय ने उन्हें 14 मई को जो बच्चा दिया, उसे वापस ले लिया है। इस बच्चे के बदले में उन्होंने संस्था को पहली मई को 1.2 लाख रुपये दिए थे। सीडब्ल्यूसी की चेयरपर्सन वर्मा के अनुसार, ‘‘परिवार का आरोप है कि इंदवार ने मई में उन्हें बच्चा दिया था। उसने 30 जून को फोन कर कहा कि कुछ औपचारिकताएं पूरी की जानी है, इसलिए रांची आ जाइये। जब हम पहली जुलाई को बच्चे को लेकर निर्मल हृदय पहुंचे तो इंदवार ने उसे वापस ले लिया।’’ वर्मा के मुताबिक, सीडब्ल्यूसी ने निर्मल हृदय का अचानक दौरा कर कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किए थे। इसके बाद ही इंदवार ने इस दंपति को फोन किया था। दंपति ने कोई मदद न मिलती देख सीडब्ल्यूसी से मदद मांगी। बच्चा फिलहाल सीडब्ल्यूसी के पास है।
 

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