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जानिए कैसे फरवरी तक बंद हो सकता है आपका मोबाइल वॉलिट्स !

Published : Jan 08, 2019, 02:05 PM IST
जानिए कैसे फरवरी तक बंद हो सकता है आपका मोबाइल वॉलिट्स !

सार

अगर आप मोबाइल वॉलिट्स का इस्तेमाल करते हैं और अभी तक आपकी केवाईसी नहीं हुई तो अगले महीने के आखिर तक आपका वॉलिट्स बंद हो सकता है. 


अगर आप मोबाइल वॉलिट्स का इस्तेमाल करते हैं और अभी तक आपकी केवाईसी नहीं हुई तो अगले महीने के आखिर तक आपका वॉलिट्स बंद हो सकता है. क्योंकि ज्यादातर कंपनी अभी तक अपने ग्राहकों का वेरीफिकेशन नहीं करा पाएं हैं, जिसके कारण आपका वॉलिट्स मार्च के बाद बंद हो सकता है.

असल में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने सभी मोबाइल वॉलिट्स की सेवा देने वाली कंपनियों को फरवरी के अंत तक अपने ग्राहकों का केवाआईसी करने का आदेश दिया है. जबकि इन कंपनियां का काम पूरा नहीं हुआ है और कंपनियों को आशंका है कि अगले दो महीने में इस काम को पूरा नहीं किया जा सकता है. लिहाजा ज्यादातर वॉलिट्स बंद हो सकते हैं. आरबीआई के बाद इन कंपनियों का कारोबार प्रभावित हो सकता है. इसके लिए आरबीआई ने अक्टूबर में एक आदेश दिया था कि कंपनियां अपने ग्राहकों का फरवरी के अंत तक वेरीफिकेशन करा लें.

अगर ऐसा नहीं होता है तो इन कंपनियों के कारोबार पर रोक लगा दी जाएगी.आरबीआई  ये भी कहा था कि कंपनियां केवाआईसी (नो योर कस्टमर) गाइडलाइंस के तहत वांछित पूरी जानकारी जुटाएं. अगर ग्राहक की केवाआईसी पूरा नहीं है तो उसे बंद कर दें. हालांकि कंपनियां आरबीआई से ज्यादा समय चाहती हैं. ताकि वह अच्छी तरीके से यूजर बेस की जानकारी जुटा सकें. अभी उन्होंने अधिकतर यूजर्स का बायोमीट्रिक या फिजिकल वेरिफिकेशन नहीं किया है. लिहाजा ऐसा माना जा रहा है कि 95 फीसदी से ज्यादा मोबाइल वॉलिट्स मार्च तक बंद हो सकते हैं.

आधार पर सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट के बाद आरबीआई ने गाइडलाइंस जारी की थीं. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि प्राइवेट कंपनियां कस्टमर्स के पेपरलेस वेरिफिकेशन के लिए आधार डेटाबेस का उपयोग नहीं कर सकती हैं. आरबीआई ने केवाईसी के दूसरे तरीकों के बारे में साफ तौर पर कुछ भी नहीं कहा है. उधर एक कंपनी के अफसर ने बताया कि केवाईसी के दूसरे तरीकों पर भी चर्चा की गयी थी,

लेकिन आरबीआई ने आरबीआई ने इस पर मंजूरी नहीं दी है. गौरतलब है कि मोबाइल वॉलिट्स से करीब चार साल पहले डिजिटल पेमेंट में तेजी आई थी, लेकिन अब इस सेगमेंट में कुछ ही कंपनियां बची हैं. मोबीक्विक, फोनपे और एमेजॉन पे जैसी अधिकतर पीपीआई लाइसेंस धारक या तो यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस बिजनेस पर जोर लगा रही हैं या वे फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी से जुड़े दूसरे कामकाज करने लगी हैं. 

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