मोदी सरकार ने बंद कर दी सरकारी बैठकों में अफसरों की चाय-बिस्किट !

Published : Jun 29, 2019, 12:18 PM IST
मोदी सरकार ने बंद कर दी सरकारी बैठकों में अफसरों की चाय-बिस्किट !

सार

केन्द्र की मोदी सरकार सरकारी खर्चों में कटौती के लिए लगातार काम कर रही है। पहले सरकारी अफसरों को दी जाने वाली सुविधाओं में कटौती की गयी है। यही नहीं सरकारी अफसरों को सरकारी गेस्ट हाउस में रूकने का फरमान पहले ही आ चुकी है। इस बार केन्द्र में नई सरकार बनने के बाद से ही लोकसभा सचिवालय ने सभी नवनियुक्त सांसद को सरकारी भवनों में ठहराने की व्यवस्था की थी।

केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने सरकारी बैठकों के दौरान अफसरों को दी जाने वाली चाय बिस्किट को बंद कर दिया है। ये फैसला अपने मंत्रालय में सबसे पहले केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्धन ने लागू किया है। हालांकि अफसरों को अब चाय बिस्किट की जगह भुना हुआ चना, खजूर, बादाम और अखरोट जैसे खाद्य दिए जाएंगे। ताकि वह स्वस्थ्य रहें।

केन्द्र में नरेन्द्र मोदी की सरकार दूसरी बार बनने के बाद सरकारी अफसरों की सुविधाओं के लिए ये पहला फैसला लिया गया है। इससे पहले केन्द्र की पहली नरेन्द्र मोदी सरकार ने अफसरों के सरकारी यात्राओं के दौरान इकोनॉमी क्लास में यात्रा करना और सरकारी गेस्ट हाउस में रूकने का फरमान आया था। लेकिन नई सरकार बनते ही केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने अब सरकारी बैठकों में चाय-बिस्किट की जगह लाई-चना देने का आदेश दिया है।

इसके लिए मंत्रालय ने अपने सभी विभागों को एक एडवाइजरी जारी की है। जिसके तहत कुकीज, बिस्किट और अन्य फास्ट फूड अब बैठकों में नहीं दिए जाएंगे बल्कि इसके स्थान पर भुना हुआ चना, लाई, खजूर, बादाम और अखरोट जैसे स्वास्थ्य देने को कहा है। यही नहीं केन्द्रीय मंत्री ने पानी की प्लास्टिक की बोतलों का प्रयोग बंद करने को कहा है।

लिहाज इसके विकल्प तलाशने को कहा है। फिलहाल ये आदेश स्वास्थ्य मंत्रालय के विभागों और संस्थानों में लागू होगा। इस फैसले को डॉक्टरों की पहल पर उठाया गया है। केन्द्र की मोदी सरकार सरकारी खर्चों में कटौती के लिए लगातार काम कर रही है। पहले सरकारी अफसरों को दी जाने वाली सुविधाओं में कटौती की गयी है।

यही नहीं सरकारी अफसरों को सरकारी गेस्ट हाउस में रूकने का फरमान पहले ही आ चुकी है। इस बार केन्द्र में नई सरकार बनने के बाद से ही लोकसभा सचिवालय ने सभी नवनियुक्त सांसद को सरकारी भवनों में ठहराने की व्यवस्था की थी। जबकि पहले सांसद सरकारी खर्च पर होटलों में रूकते थे।

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