‘’संजू’’ का प्रशंसक था बजरंगी, पूर्वांचल में सबसे पहले किया था एके-47 का प्रयोग

 |  First Published Jul 11, 2018, 10:24 AM IST

बागपत जेल में मारा गया माफिया मुन्ना बजरंगी अभिनेता संजय दत्त का जबरदस्त प्रशंसक था वह उन्ही की तरह बनने का सपना देखा करता था उसके हत्या करने का अंदाज भी एकदम फिल्मी होता था। अपराध की दुनिया में मुन्ना बहुत ही कुख्यात रहा है। बजरंगी ने पूर्वांचल में सबसे पहले एक-47 रायफल का प्रयोग कर के सबको चौंका दिया था

बागपत जेल में मारा गया माफिया मुन्ना बजरंगी अभिनेता संजय दत्त का जबरदस्त प्रशंसक था वह उन्ही की तर ह बनने का सपना देख करता था उसकी हत्या करने का अंदाज भी एकदम फिल्मी होता था। अपराध की दुनिया में मुन्ना बहुत ही कुख्यात रहा है। बजरंगी ने पूर्वांचल में सबसे पहले एक-47 रायफल का प्रयोग कर के सबको चौंका दिया था।

बजरंगी के गृह जनपद जौनपुर के रहने वाले आईपीएस अधिकारी दिनेश पाल सिंह माय नेशन से बात करते हुए बताते हैं कि ‘’मुन्ना बहुत मजबूत आदमी था 1998 में एक एनकाउंटर में उसे 10 गोलियां लगी थी फिर भी जिन्दा बच गया। इस मुठभेड़ में लगी एक गोली उसके शरीर में मरने तक मौजूद रही”। वह याद करते हुए बताते हैं, कि "मुन्ना संजय दत्त का बहुत बड़ा प्रशंसक था और उनकी तरह बनने का सपना देखा करता था।”

उत्तर प्रदेश के कुख्यात माफिया और भाजपा विधायक कृण्णानंद राय की हत्या के आरोपी मुन्ना बजरंगी की बागपत जेल में गोली मारकर हत्या कर दी गई। मुन्ना की हत्या ने जरायम की दुनिया में हड़कंप मचा दिया। अपराध की दुनिया में मुन्ना बहुत ही कुख्यात रहा है।
 
उत्तर प्रदेश सम्प्रदायिक रुप से सबसे ज्यादा संवेदशील राज्य रहा है और सांप्रदायिक हिंसा वाले राज्यों की सूची में सबसे आगे है। उसी यूपी में माफिया गिरोहों के बीच वर्चस्व को लेकर आये दिन गैंगवार की घटनाएं होती रहती हैं। गैंगवार की किसी घटना में सबसे पहले अत्याधुनिक एक-47 का प्रयोग करने वाला अपराधी मुन्ना बजरंगी था।  
 
पूर्वांचल में गैंगवार की कहानी दो दशक पुरानी है पुरानी अदावत को लेकर शुरु हुई इस जंग मुख्तार अंसारी और बृजेश सिह गुट के बीच आज भी जारी है। इस समय दोनों गिरोह के मुखिया उत्तर प्रदेश की विधानसभा और विधान परिषद के सदस्य हैं और दोनों जेल में बंद हैं।
 
रेलवे और कोयले के ठेके को लेकर होने वाली जंग में अभी तक कई लोग अपनी जान गवां चूके हैं। बृजेश और की आपसी लड़ाई में अचानक से एक नए खिलाड़ी का उदय होता है। जिसके बंदूक से निकली गोली ने लड़ाई के पलड़े को मुख्तार की तरफ झुका दिया लेकिन मना जाता है कि उस समय मुख्तार के सर पर समाजवादी पार्टी और बसपा का हाथ था जिससे मुख्तार गैंग बृजेश के गैंग पर भारी दिखता था। 

राजनीतिक संरक्षण में फल-फूल रहे इस गैंग ने पूर्वांचल में अपनी पकड़ मजबूत कर ली थी। मुख्तार गैंग ने रेलवे के ठेके से लेकर कोयला के खेल में अपनी स्थिति को मजबूत कर लिया। इसी दौरान बृजेश के लोगों को मरवाने के लिये मुख्तार अंसारी ने अपने सबसे खास प्यादे को इस्तेमाल किया। लेकिन मुन्ना बजरंगी के मारे जाने के बाद माना जा रहा है कि मुख्तार अंसारी की पकड़ कमजोर हुई है।    
 

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