भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और कानपुर से सांसद मुरली मनोहर जोशी की चिट्ठी से सियासी भूचाल आ गया है। जोशी ने अपने संसदीय क्षेत्र कानपुर के लोगों को चिट्ठी लिखी है। जोशी का कहना है कि पार्टी का नेतृत्व नहीं चाहता है कि वह लोकसभा चुनाव लड़े।
भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और कानपुर से सांसद मुरली मनोहर जोशी की चिट्ठी से सियासी भूचाल आ गया है। जोशी ने अपने संसदीय क्षेत्र कानपुर के लोगों को चिट्ठी लिखी है। जोशी का कहना है कि पार्टी का नेतृत्व नहीं चाहता है कि वह लोकसभा चुनाव लड़े। कुछ दिन पहले ही भाजपा ने वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी का टिकट काटा था और उनकी जगह पर पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को टिकट दिया था।
भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी ने कानपुर के लोगों को पत्र लिखकर कहा कि भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व नहीं चाहता कि मैं कानपुर या किसी अन्य क्षेत्र से चुनाव लड़ूं। जोशी ने यह बात कानपुर के मतदाताओं के नाम जारी दो पंक्तियों के पत्र में कही है। यह चिट्ठी उनके निजी सहायक द्वारा लिखी गयी है। इस चिट्ठी के बाद भाजपा की राजनीति में हलचल मच गयी है। असल में भाजपा ने इस साल 75 साल की उम्र पार कर चुके नेताओं को टिकट नहीं देने का फैसला किया है। यही नहीं 2014 में केन्द्र में सरकार बनने के बाद ये फैसला हुआ था कि कोई भी 75 की उम्र के सांसद को केन्द्रीय मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी जाएगी।
लिहाजा इस बार पहले भाजपा ने पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी का टिकट काटा है। वहीं अब जोशी को टिकट न दिए जाने की अटकलें हैं। हालांकि अभी तक पार्टी ने कानपुर से किसी को टिकट नहीं दिया है। जबकि लालकृष्ण आडवाणी की सीट गांधीनगर से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को टिकट दिया है। वहीं पार्टी ने कलराज मिश्रा का भी टिकट काटा है। टिकट जाने के बाद आडवाणी तो खामोश रहे, लेकिन जोशी की चिट्ठी ने भाजपा के भीतर चली आ रही राजनीति गर्मा गयी है। जोशी इलाहबाद, बनारस से सांसद रह चुके हैं। जोशी सोमवार यानी 25 मार्च को कानपुर जाने वाले थे।
लेकिन वह नहीं आए। इसी बीच उनकी ये चिट्ठी जिले की जनता के पास पहुंच रही है। जिसको लेकर लोगों में नाराजगी है। लोगों का कहना कि जोशी वरिष्ठ नेता हैं और उन्हें टिकट दिया जाना चाहिए वह राजनैतिक तौर पर भी सक्रिय हैं। जोशी जो चिट्ठी लिखी है उसमें उन्होंने साफ लिखा है कि भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री रामलाल उनके पास आये और कहा कि कहा कि उन्हें कानपुर या अन्य कहीं से भी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ना है।