डा. कलाम...भारत की एक अनमोल धरोहर

 |  First Published Jul 27, 2018, 1:36 PM IST

आज गुरु पूर्णिमा है..। आज ही देश के सबसे लोकप्रिय और जनता के राष्ट्रपति कहे जाने वाले डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की तीसरी पुण्यतिथि है। वह एक वैज्ञानिक थे, लेकिन उन्हें शिक्षक की भूमिका बेहद पसंद थी। उन्होंने अपना पूरा जीवन शिक्षा को समर्पित किया। वह ऐसे वैज्ञानिक थे, जिन्हें साहित्य में रुचि थी। वह कविताएं लिखते, वीणा बजाते और अध्यात्म से जुड़े रहते थे। 

डा. अब्दुल कलाम के विचार युवाओं के लिए प्रेरक हैं। वह भारत के 11वें राष्ट्रपति थे। 27 जुलाई, 2015 को डा. कलाम हमें छोड़कर अनंत यात्रा पर चले गए। पूरा राष्ट्र भारत के सबसे लोकप्रिय और जनता के राष्ट्रपति कहे जाने वाले डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम उनकी तीसरी पुण्यतिथि पर याद कर रहा है। अबुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम यानी एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम के धनुषकोडी गांव में एक मध्यमवर्ग मुस्लिम परिवार में हुआ। पिता जैनुलाब्दीन ज़्यादा पढ़े-लिखे थे, अलबत्ता मछुआरों को नाव किराए पर दिया करते थे। बड़े संयुक्त परिवार में रहने वाले अब्दुल कलाम के जीवन पर पिता का बहुत प्रभाव रहा। वह भले ही पढ़े-लिखे नहीं थे, लेकिन उनकी लगन और उनके दिए संस्कार डा. कलाम के बहुत काम आए।

डा. कलाम ने अपनी आरंभिक शिक्षा जारी रखने के लिए अखबार वितरित करने का काम भी किया। कलाम ने 1950 में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से अंतरिक्ष विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की है।1962 में वे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन में आए, जहां उन्होंने कई उपग्रह प्रक्षेपण परियोजनाओं में काम किया। परियोजना निदेशक के रूप में भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी 3 के निर्माण में डा. कलाम ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। जुलाई 1982 में रोहिणी उपग्रह सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया था।1982 में वह रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान में निदेशक के तौर पर लौटे। उन्होंने अपना सारा ध्यान गाइडेड मिसाइल के विकास पर केंद्रित किया। अग्नि और पृथ्वी मिसाइल का सफल परीक्षण का श्रेय उन्हीं को जाता है। जुलाई 1992 में वह रक्षा मंत्रालय में वैज्ञानिक सलाहकार नियुक्त हुए। उनकी देखरेख में भारत ने 1998 में पोखरण में अपना दूसरा सफल परमाणु परीक्षण किया और भारत परमाणु शक्ति से संपन्न राष्ट्रों की सूची में शामिल हुआ।

डा. कलाम चार दशकों तक भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम और मिसाइल विकास कार्यक्रम में शामिल रहे। यही वजह है कि उन्हें 'मिसाइल मैन' कहा गया। 18 जुलाई 2002 को कलाम भारत के राष्ट्रपति चुने गए। 25 जुलाई 2002 को उन्होंने राष्ट्रपति पद की शपथ ली। वह 25 जुलाई 2007 तक इस पद पर रहे। 27 जुलाई 2015 को भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलोंग में एक व्याख्यान के दौरान उन्हें दिल का दौरा पड़ा। उन्हें बचाया नहीं जा सका। 

गुरु कलाम के पांच अनमोल वचन

1. अगर किसी राष्ट्र को भ्रष्टाचारमुक्त और सुंदर मन वाले लोगों का देश बनाना है तो, मेरा दृढ़तापूर्वक मानना है कि समाज के तीन प्रमुख सदस्य ये कर सकते हैं। पिता, माता और गुरु।
2.  सपने सच हों इसके लिए सपने देखना जरूरी है। सपने सिर्फ वो नहीं होते जो आप सोते हुए देखते हैं बल्कि सपने वो होते हैं जो आपको सोने नहीं देते।
3. अलग ढंग से सोचने का साहस करना जरूरी है। आविष्कार का साहस करो, अंजान रास्ते पर चलने का साहस करो, असंभव को खोजने का साहस करो और समस्याओं को जीतो और सफल बनो। ये वो महान गुण हैं जिनकी दिशा में तुम अवश्य काम करो।
4. भगवान उसी की मदद करता है, जो कड़ी मेहनत करते हैं, यह सिद्धांत स्पष्ट होना चाहिए।
5. मनुष्य को मुश्किलों का सामना करना जरूरी है क्योंकि सफलता के लिए यह जरूरी है।

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