अयोध्या मामले की सुनवाई के लिए मुख्य न्यायाधीश ने संवैधानिक पीठ का गठन किया जा चुका है। 29 जनवरी से इस मामले की सुनवाई शुरु हो जाएगी।
राम मंदिर मामले में सुनवाई के लिए बनी संवैधानिक पीठ में खुद मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई शामिल हैं। उनके अलावा इस पीठ में जस्टिस एस ए बोबडे, डी वाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण और अब्दुल नज़ीर शामिल हैं।
पांच जजों की संवैधानिक पीठ 29 जनवरी को सुबह 10.30 अयोध्या विवाद पर सुनवाई करेगी।
इससे पहले 9 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद केस को लेकर सुनवाई हुई थी । इस पीठ में न्यायमूर्ति एन वी रमण और न्यायमूर्ति उदय यू ललित भी शामिल थे।
बाद में वरिष्ठ वकील राजीव धवन के यह उल्लेख करने पर कि न्यायमूर्ति यू यू ललित एक संबंधित मामले में कल्याण सिंह की पैरवी करने के लिए अदालत में उपस्थित हुए थे, न्यायमूर्ति ललित ने खुद को सुनवाई से अलग कर लिया।
इसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने फिर से बोर्ड का पुनर्गठन किया। जिसमें जस्टिस अब्दुल नजीर और अशोक भूषण को शामिल किया गया।
अयोध्या मामले में कुल 88 लोगों की गवाही होगी। इस मामले से जुड़े 257 दस्तावेज रखे जाएंगे जो 13,860 पेज के हैं।
यह सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट के सितंबर 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर होगी।
हाईकोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने 30 सितंबर, 2010 को 2:1 के बहुमत वाले फैसले में कहा था कि 2.77 एकड़ जमीन को तीनों पक्षों- सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला में बराबर-बराबर बांट दिया जाए।
इस फैसले को किसी भी पक्ष ने नहीं माना और उसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। शीर्ष अदालत ने 9 मई 2011 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट में यह केस पिछले आठ साल से लंबित है।