नए 'मिसाइल मैन', पूर्व वायुसेना अधिकारी ने एयरो इंडिया में पेश की चार मिसाइलें

By Shashank Shekhar  |  First Published Feb 21, 2019, 2:06 PM IST

सितंबर, 2018 में वायुसेना से रिटायर होने वाले एयर मार्शल देव ने 'माय नेशन' से कहा, 'इन मिसाइलों को एयरो इंडिया 2019 में पेश किया गया है। ये सभी भारत में तैयार की गई हैं। इन्हें खुद मैंने पिछले कई साल की मेहनत के बाद विकसित और डिजाइन किया है।

वायुसेना से रिटायर होने के चार महीने के भीतर ही पूर्व वायुसेना उपप्रमुख एयर मार्शल (रिटा.) शिरीष बी देव ने भारत में विकसित चार मिसाइलों को पेश किया है। उन्होंने इन मिसाइलों को भारतीय वायुसेना द्वारा इस समय इस्तेमाल की जा रही मिसाइलों से सस्ती व ज्यादा मारक क्षमता वाला बताया है।  

सितंबर, 2018 में वायुसेना से रिटायर होने वाले एयर मार्शल देव ने 'माय नेशन' से कहा, 'इन मिसाइलों को एयरो इंडिया 2019 में पेश किया गया है। ये सभी भारत में तैयार की गई हैं। इन्हें खुद मैंने पिछले कई साल की मेहनत के बाद विकसित और डिजाइन किया है। इसके पीछे हमेशा से देश के लिए कुछ करने की ललक रही है। ताकि देश को मिसाइल और हथियार प्रणाली के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया जा सके।'

देव ने जेएसआर डायनॉमिक्स प्राइवेट लिमिटेड नाम से एक कंपनी बनाई है। उनके द्वारा निर्मित मिसाइलों में 297 किलोमीटर की दूरी तक मार करने वाली क्रूज मिसाइल वेल और स्टैंड ऑफ मिसाइल खागांटक है। इसे उसके निशाने तक ले जाकर उसे पूरी तरह तहस नहस किया जा सकता है। उनकी कंपनी मिसाइलों के अलावा दूसरे डेजिगनेशन पॉड्स का ऑफर दे रही है। 

उन्होंने कहा, 'यह मेक इन इंडिया का प्रतीक है। इसमें विदेशी सामाम 10 फीसदी से भी कम है। हमारे पास अलग-अलग क्षमता वाले दो ग्लाइड बम और 297 किलोमीटर की रेंज वाली एक हल्की क्रूज मिसाइल है। मिसाइल हल्का वॉरहेड ले जाने में सक्षम है। इसे छह महीने से कम समय में शामिल किया जा सकता है।'

वायुसेना के पूर्व अधिकारी ने कहा कि 1090 के खाड़ी युद्ध के दौरान अमेरिकी सेना ने एक बम का परीक्षण कर उसे अपनी सेना में शामिल किया था। इस बम को डिजाइन करने के 21 दिन  बाद ही उसका जमकर प्रयोग किया गया। 

देव ने कहा कि उनकी कंपनी सरकारी क्षेत्र की कंपनी (पीएसयू) के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर करने वाली है। इससे उन्हें मिसाइलों के ज्यादा उत्पादन और मार्केटिंग में मदद मिलेगी। 

उनकी कंपनी उन देशों को भी मिसाइलों  को निर्यात करने पर विचार कर रही जो अपनी वायुसेना के लिए किफायती दाम में लंबी दूरी की मिसाइलें खरीदने चाहते हैं। 

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